सऊदी अरब के तुर्की स्थित दूतावास में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले में बातचीत के लिए डोनाल्ड ट्रम्प के सलाहकार ने क्राउन प्रिंस सलमान से मुलाकात की थी। बैठक के बाद सलाहकार समूह ने बयान दिया कि जहां भी मौका हमे मिले या जहां भी हम जाए, हमारी इच्छा है कि जीसस का सम्मान बढ़ाएं।
अमेरिका का एवेंग्लिकल समूह यानी ईसाई धर्म के प्रचारक डोनाल्ड ट्रम्प के बड़े समर्थकों में से एक है। ईरान पर दबाव बढाने के लिए हाल ही में यह धार्मिक समूह मध्य पूर्व के देशों से मिला था। मिस्र में ईसाई अल्पसंख्यको की सुरक्षा के लिए धार्मिक समूह मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़तेह अल सीसी और यूएई के आला नेताओं सभी मिले थे।
आलोचकों के मुताबिक मिस्र और सऊदी अरब की सरकार ईसाई अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करती है और इन देशों में बिना किसी कार्रवाई के राजनितिक कैदियों और पत्रकारों पर दमनकारी नीति अपनाई जा रही है। व्हाइट हाउस के अनाधिकारिक प्रवक्ता ने बैठक के बाबत बताया कि धार्मिक समूह ने क्राउन प्रिंस के साथ खशोगी की हत्या और मानवाधिकार से सम्बंधित बातचीत की थी।
उन्होंने बताया कि सऊदी अरब मिडिल ईस्ट का सबसे ताकतवर, महत्वपूर्ण और अमीर देश हैं। साथ ही इस देश पर इस्लामिक धर्म का काफी प्रभाव है। इसलिए दो माह पूर्व मिले सऊदी अरब के न्योते को हमने स्वीकार कर लिया और वार्ता के लिए वहां चले गए।
येरुशलम पोस्ट न्यूज़ के मुताबिक धार्मिक समूह इजरायल का अनाधिकारिक राजदूत बनकर सऊदी अरब गया था। अमेरिका के अधिकारी ने बताया कि यह धार्मिक समूह इजरायल का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा है और न ही इसका कनेक्शन अमेरिका से है। उन्होंने कहा कि बिलकुल गलत खबरे उड़ाई जा रही हैं, अमेरिका को इसकी कोई खबर नहीं थी और ही हमने सऊदी के लिए कोई सन्देश भिजवाया है।
सोशल मीडिया पर जमाल खशोगी की तस्वीर पोस्ट करके आलोचकों ने धार्मिक समूह के सऊदी अरब में जाने को लेकर सवाल उठाये हैं।