देश के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि देश में तेज़ी से आगे बढ़ रहे कैब व्यवसाय में अभी और भी अधिक प्रतिस्पर्धा की जरूरत है। इसी के साथ नितिन गडकरी का मानना है कि इस क्षेत्र देश में और अधिक प्रतिस्पर्धा होने के चलते यहाँ दामों में कमी आएगी।
मालूम हो कि देश में कैब सेवा प्रदाता को विभिन्न राज्यों के नियमों के हिसाब से चलना पड़ता है, ऐसे में उनके द्वारा जारी किए जा रहे किराये कि दर भी विभिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न हो सकती है।
ओला द्वारा चलाये जा रहे फ्लेक्सि किराये की नीति पर जब नितिन गडकरी से सवाल किया गया तब उन्होने बताया कि वो देश में ओला जैसी 100 और कंपनियाँ चाहते हैं। इससे देश में कैब के बाज़ार में प्रतिस्पर्धा शुरू होगी, इसी के साथ यात्री किराए में कमी आएगी।
मालूम हो कि देश में पिछले एक सालों में कैब सेवा प्रदाताओं ने अपने किराये में व्यापक वृद्धि की है।
इसी के साथ कैब चालकों के लिए बोलते हुए उन्होने कहा कि कैब कंपनी को अधिक बुकिंग मिले या कम चालकों को उनका कमीशन एक मुश्त ही मिलता है।
वहीं ओला द्वारा जारी की गयी यात्रा सुगमता इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार कैब सवारियों ने सबसे ज्यादा शिकायतें रास्तों में पड़ने वाले गड्डों की की है।
इसी के साथ रिपोर्ट में बताया गया है कि 55 प्रतिशत यात्री अपनी यात्रा सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट से ही करते हैं, उनमें से 40 प्रतिशत यात्री अपनी यात्रा के किराये को भरने के लिए स्मार्टकार्ड का इस्तेमाल करते हैं।
इसी के साथ 80 प्रतिशत भारतियों का मानना है कि पिछले 5 सालों में भारत में यातायात के मामले में उन्नति हुई है। वहीं अभी लोगों को यह समझ नहीं आ रहा है कि कैब जैसी सुविधा को सार्वजनिक यातायात का साधन माना जाये या नहीं!