भारत ने गुरूवार को कहा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की पारदर्शी कनेक्टिविटी में बीच में चीन और पाकिस्तान रोड़ा अटका रहे हैं। विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के मध्य जून 2017 में बने गलियारे (कॉरिडोर) का विस्तार अन्य शहरों तक करने पर विचार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा साथ ही चाहबार बंदरगाह का विस्तार कर उसे अफगानिस्तान और मध्य अन्य शहरों तक जोड़ा जायेगा। पिछले साल उद्धघाटन के समय इस बंदरगाह से भारत ने 110 हज़ार मेट्रिक टन गेंहू और 2000 मेट्रिक टन दाल अफगानिस्तान पहुंचाई थी। भारत ने न्युक्त अमेरिकी राजदूत ने बताया कि अमेरिका के प्रतिबंधों के बावजूद भारत के समक्ष चाहबहार बंदरगाह के विकास करने का साहस है।
अमेरिकी राजदूत केन जुस्टर ने बताया कि चाहबार बंदरगाह के विकास पर रियायत के लिए अमेरिका और भारत के मध्य बातचीत जारी है। यूरेशिया तक पहुँचने के लिए ईरान के बंदरगाह के बाबत विजय गोखले ने बताया कि अतर्राष्ट्रीय उत्तर और दक्षिण ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के विस्तार की सम्भावना भी है। इसके कारण भारत के मध्य एशिया तक पंहुचने में समय और कीमत भी कम लगेगी।
पाकिस्तान और चीन पर निशाना साधते हुए विजय गोखले ने कहा कि बीआरआई जैसे आदेश सभी राष्ट्रों की संप्रभुता, अखंडता और समानता के लिए मुसीबत बन सकते हैं।
सभी राष्ट्रों को अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय कानून के मुताबिक कनेक्टिविटी सामान स्तर की होनी चाहिए। उन्होंने कहा अन्तराष्ट्रीय कानून के मुताबिक नौपरिवहन की स्वतंत्रता, बेरोकटोक वाणिज्य और सभी मसलों का शान्तिपूर्ण तरीके से हल होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चीन को आर्थिक गतिवधियों का प्रचार का चाहिए न कि राष्ट्रों पर कर्ज का भार डालना चाहिए। उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी अंतर्राष्ट्रीय कानून पारदर्शिता, सभी के लिए बेरोक और समानता पर आधारित होना चाहिए।
जापान और भारत के मध्य हाल ही हुए सम्मेलन में दोनों राष्ट्रों के प्रमुखों ने इंडो पैसिफिक शेत्र को मुक्त, खुला और समावेशी बनाने पर बातचीत की थी। भारत और जापान मिलकर बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका और अफ्रीका जैसे देशों के साथ मिलकर कई प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।