बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से फ़्रांस से खरीदे जाने वाले 36 राफेल विमानों की कीमत सील बंद लिफ़ाफ़े में कोर्ट में जमा करने को कहा था।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि विमानों की खरीद के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया के वो चरण जो कानूनी रूप से सार्वजनिक डोमेन में लाए जा सकते हैं, उन पार्टियों को उपलब्ध कराया जाए जिन्होंने इससे मामले में पहले याचिका दायर कर रखी है।
कोर्ट के आदेश के बाद अटॉर्नी जनरल के वेणुगोपाल ने खंडपीठ को बताया कि इन विमानों के डील के डिटेल की जानकारी अब तक संसद को भी नहीं दी गई है, ऐसी स्थिति में कोर्ट को नहीं बताया जा सकता।
फिर कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि यदि डील की डिटेल कोर्ट के साथ साझा नहीं की जा सकती तो केंद्र को इस संबंध में कोर्ट ने एक एफिडेविट के जरिये ये बात कहनी चाहिए। कोर्ट ने ये भी स्पष्ट कर दिया कि अगर डिटेल रणनीतिक और गोपनीय है तो इसे जो अदालत के समक्ष रखा जाना चाहिए और ऐसी स्थिति में ये याचिकाकर्ताओं के समक्ष नहीं रखा जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि डिटेल देखने के बाद हम ये तय करेंगे कि इसे सार्वजनिक किया जा सकता है कि नहीं।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, कोर्ट कीमत निर्धारण / लागत के संबंध में ब्योरा भी जानना चाहती है, खासतौर से इसका लाभ, जिसे फिर से सीलबंद लिफ़ाफ़े में अदालत में जमा किया जाएगा।
गौरतलब है कि प्रशांत भूषन, यशवंत सिन्हा और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने राफेल डील की कीमतों के बारे जानकारी के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है जिसपर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को डील की जानकारी कोर्ट में जमा करने के लिए 10 दिनों का समय दिया है। सरकार ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस डील की जानकारी सार्वजनिक करने में असमर्थता जताई है।