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    चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान

    चीन और पाकिस्तान ने हाल ही में चीन-पाक आर्थिक गलियारे के तहत एक बस सुविधा का आरम्भ किया था। भारत ने बुधवार को चीन और पाकिस्तान के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति दर्ज करवाई है।

    भारत ने कहा कि बस की सुविधा पाकिस्तान के पीओके यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरेगी। गौरतलब है कि भारत ने सीपीईसी परियोजना का पीओके से गुजरने का भी विरोध किया था और इस परियोजना में शामिल होने से इंकार कर दिया था।

    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि इस बस सुविधा से भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन होगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और चीन के मध्य साल 1963 में हुआ कथित बॉर्डर एग्रीमेंट गैरकानूनी और अवैध है। भारत का इस समझौता पर पक्ष एक सा ही रहा है और इसे भारत सरकार इसे कभी मान्यता नहीं देगी।

    उन्होंने कहा कि किसी भी बस सुविधा का पाकिस्तान के अधिकृत कश्मीर से गुजरना भारत के संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर हमला है। इस बस सर्विस को पाकिस्तान के लाहौर और चीन के काश्गर तक जोड़ा गया है। सूत्रों के मुताबिक इस सुविधा का उद्धघाटन 3 नवम्बर या 13 नवम्बर को होगा।

    पाकिस्तान और चीन के मुताबिक यह बस सुविधा दोनों राष्ट्रों की दोस्ती को मज़बूत करेगी। चीन की 50 बिलियन डॉलर की सीपीईसी परियोजना की शुरुआत साल 2015 में हुई थी। इस मार्ग को चीन के संसाधन से भरे स्वायत्त इलाके शिनजियांग से पाकिस्तान के अरब सागर में स्थित ग्वादर पोर्ट तक जोड़ा जायेगा।

    पाकिस्तान ने हाल ही में सीपीईसी परियोजना के अंतर्गत रेलवे परियोजना के 8 बिलियन डॉलर में से 2 बिलियन डॉलर की कटौती की थी। पाकिस्तान की नवनिर्वाचित सरकार के मंत्री ने बयान दिया था कि यह परियोजना पूरी तरह चीन की हितैषी है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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