तेलंगाना में विधानसभा चुनाव दिसंबर में है। 7 दिसंबर को लोग नयी सरकार चुनने के लिए वोट डालेंगे। लेकिन इस बार तेलंगाना के राजनितिक हालात 2014 से अलग है। राज्य की सत्ताधारी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के लिए 2018 का चुनाव 2014 के मुकाबले कहीं ज्यादा मुश्किल होने वाला है।
तेलंगाना राष्ट्र समिति के गठन का मुख्य उद्देश्य आंध्र प्रदेश से अलग हो कर एक नया राज्य बनाना था। विभाजन के बाद तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में एक साथ चुनाव कराये गए। तेलंगाना क्षेत्र के 119 में से 63 सीटें जीत कर TRS सबसे बड़ी पार्टी बनी और के. चंद्रशेखर राव मुख्यमंत्री बने।
चार सालों में सत्ताधारी पार्टी ने कई योजनाएं शुरू की इनमे से सबसे बड़ी योजना थी। इनमे से सबसे प्रमुख योजना थी कृषि क्षेत्र की ‘रितु बंधू’ योजना। इस योजना के अंतर्गत प्रति एकड़ प्रति किसान रबी और खरीफ फसल के लिए 8000 रुपये दिए जाते हैं।
एक दूसरी महत्वपूर्ण योजना थी मिशन काकतीय। कृषि क्षेत्र की इस योजना का उद्देश्य सिंचाई टैंको में से गाद निकलना था जिससे कि सिंचाई टैंको की क्षमता बढ़ सके।
कृषि क्षेत्र के अलावा तेलंगाना सरकार ने कई सामाजिक योजनाओं की भी शुरुआत की। नवविवाहित युवतियों के लिए योजना और शादी मुबारक योजना। गर्भवती महिलाओं के लिए भी कई योजनाओं की शुरुआत की गई।
अब जबकि चुनाव नजदीक है तो मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने अपने कार्यकर्ताओं से इन सामाजिक योजनाओं का प्रचार करने को कहा है।
अपने चुनावी घोषणा पत्र में राव ने कई घोषणाएं कि है मसलन रितु बंधू योजना के तहत दी जाने वाली रकम को बढ़ा देना, आसरा पेंशन के अंतर्गत मिलने वाली धनराशि में वृद्धि, बेरोजगारी भत्ता।
इन योजनों के अलावा अभी चुनाव में मुख्यमंत्री KCR के लिए चुनौतियाँ भी है जिससे पार पाना आसान नहीं होगा।
शिक्षा
सत्ताधारी पार्टी के लिए सबसे बड़ा चैलेन्ज राज्य की कम साक्षरता दर है। देश के 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य का स्थान 25वां हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की साक्षरता दर 66.46 प्रतिशत है जो तेलंगाना के मुकाबले काम आय वाले राज्य मध्य प्रदेश, ओडिसा और छत्तीसगढ़ से भी कम है।
विपक्ष पुरे कार्यकाल के दौरान सरकार पर शिक्षा में सुधार के लिए कोई पॉलिसी नहीं लाने के लिए निशाने पर लेता रहा।
कांग्रेस ने सत्ता में आने के 100 दिनों के भीतर राज्य के पूरी शिक्षा प्रणाली को नए सिरे से बदलने का वादा किया है।
नयी राजनितिक पार्टियां
राज्य के गठन के बाद कई नयीराजनितिक पार्टियों का उद्भव भी सत्ताधारी पार्टी के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। 2018 के शुरुआत में तेलंगाना संयुक्त राजनितिक कमिटी ने ‘तेलंगाना जन समिति’ नाम की नयी पार्टी बनने का ऐलान कर दिया।
सितम्बर में एक टीवी एंकर रानी रुद्रमा ने ‘युवा तेलंगाना पार्टी’ का गठन कर KCR की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। ये छोटी पार्टियां सरकार भले ही न बना सके लेकिन सत्ताधारी पार्टी के वोट काट कर उन्हें नुकसान पहुंचाने की पूरी ताकत रखते हैं।
इसके अलावा कांग्रेस और चंद्रबाबू नायडू की पार्टी (TDP) ने भी महागठबंधन बना कर TRS को घेरने का पूरा प्लान बना रखा है।
SC/ST
तेलंगाना की राजनीति में अनुसूचित जाती और जनजातियों की अच्छी पैठ है। राज्य की 3.5 करोड़ जनसँख्या में 86 लाख अनुसूचित जाती और जनजाति वर्ग में आते हैं।
SC/ST वर्ग कांग्रेस का परम्परागत वोट बैंक रहा है और अपने शासन में SC/ST के लिए किसी भी बड़ी पॉलिसी का न लाना TRS के खिलाफ जा सकता है।