देश में जनवरी 2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने एक योजना लागू की थी, जिसके तहत सरकार ने देश में पनप रहे स्टार्ट अप कल्चर को बढ़ावा देने के लिए अपनी योजना को सबके सामने रखा था।
अब इस योजना को पूरा हुए 2 साल से भी अधिक समय बीत चुका है, ऐसे में इस योजना की जमीनी हकीकत क्या है, इस बात को लेकर काफी बातें फैली रहती है।
ऐसे में नेशनल असोशिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेस कंपनीज (NASSCOM) ने आँकड़े जारी करते हुए बताया है कि स्टार्टअप के मामले में देश में कुल फंडिंग 2.03 अरब डॉलर से बढ़ कर 4.2 अरब डॉलर पर पहुँच गयी है। इस तरह से स्टार्टअप फंडिंग में कुल 108 प्रतिशत की बढ़त हुई है।
हालाँकि नए स्टार्टअप को उनकी सबसे शुरुआती दौर में फंडिंग मिलना अभी भी मुश्किल का काम है। वहीं दूसरी ओर ओवरऑल फंडिंग के मामले में काफी प्रगति हुई है।
NASSCOM के प्रेसिडेंट देबजनी घोष ने कहा है कि देश में शुरुआती दौर पर फंडिंग न मिलने से आधे स्टार्ट अप तो वहीं दम तोड़ देते हैं। यही वो दौर है, जहां पे अधिक सुरक्षा की आवश्यकता है।
शुरुआती दौर की फंडिंग के मामले में 2017 में 15.1 करोड़ डॉलर की फंडिंग हुई थी, जबकि 2018 में यह आँकड़ा गिरकर 15.1 करोड़ डॉलर तक आ गया है।
2018 में देश में 1,200 नए स्टार्टअप सामने आए हैं, जिनमे से 8 यूनिकॉर्न (अधिक फंडिंग पाने वाले) स्टार्टअप थे।
घोष के अनुसार देश में स्टार्टअप के मामले में यह स्वर्णिमकाल काल चल रहा है, ऐसे इसके पहले कभी भी देखने को नहीं मिला है।
वहीं सरकार ने भी इसके लिए 10 हज़ार करोड़ रुपये का फंड अलग रखा हुआ है, जिससे अभी तक 600 करोड़ रुपये की फंडिंग की गयी है। देश में स्टार्ट के माध्यम से 40 हज़ार करोड़ नयी नौकरियों का उत्पादन किया गया है।