भारत और पाकिस्तान के मध्य विभाजन के बाद दोनों मुल्कों के रिश्ते कभी पटरी पर नहीं आये। भारत के हर नई सरकार के दौरान बातचीत तो हुई है लेकिन गाड़ी का बढ़ना संभव न हो सका।
भारत ने 18 अक्टूबर को कहा कि पाकिस्तान को बातचीत के लिए रास्ता तैयार करना होगा। यह तभी मुमकिन है जब पाकिस्तान आतंकवाद के विरुद्ध सख्त कदम उठाये और अपनी सरजमीं से उसे उखाड़ फेंके।
मीडिया से मुखातिब होने के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने भारत का पक्ष दोबारा स्मरण कराया कि वार्ता और आतंक साथ नहीं हो सकते हैं। यही एकमात्र कारण है कि यूएन की न्यूयॉर्क में हुई बैठक में भारत ने पाकिस्तान से बातचीत को इंकार कर दिया था।
संयुक्त राष्ट्र के सभा के इतर भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की मुलाकात होने वाली थी लेकिन भारत ने इस वार्ता को 24 घंटों के भीतर रद्द कर दिया। भारत ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के तीन पुलिसकर्मियों की नृशंस हत्या की। साथ ही कश्मीर के आतंकी बुरहान वानी को सम्मानित करने के लिए उसके नाम का डाक टिकट जारी किया।
रवीश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान की तरफ से वार्ता से पूर्व ऐसे सन्देश आएंगे तो कैसे भारत बातचीत के लिए तैयार होगा। अब यह पाकिस्तान पर है कि वह जिम्मेदारी निभाएं और अपने घर में संचालित आतंकवाद का खात्मा करे तभी बातचीत संभव है।
पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष का भारत पर 10 सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले बयान पर रवीश कुमार ने कहा कि यह प्रश्न आपको भारतीय सेना से पूछना चाहिए वे आपको मकबूल जवाब देंगे।
भारत ने पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकाने तबाह करने के लिए लाइन ऑफ़ ए कंट्रोल (एलओसी) पर साल 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। भारत आतंक और बातचीत साथ करने को तैयार नहीं है। भारतीय सेना के मुताबिक पाकिस्तान सीमा पार आतंक को शह देता है, और कश्मीर में आतंकियों को आर्थिक मदद करता है।
हाल ही में ईरान नें पाकिस्तान की सरजमीं को आतंकियों के लिए महफ़ूज़ स्वर्ग बताया था। पाकिस्तान और ईरान की सीमा पर पाकिस्तान के आतंकी गुट ने 10 ईरानी सैनिकों को कब्जे में लिया था।