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    रिलायंस जिओ

    देश के सबसे दौलतमंद शख्स मुकेश अंबानी ने 2016 में मोबाइल नेटवर्क कंपनी की नींव रखी, जिसका नाम रखा गया ‘जिओ’, जो बाद में भारतीय टेलीकॉम सेक्टर की ऐसी कंपनी बनकर उभरी जिसने बाकी सभी प्रतिद्वंदी कंपनियों का रुख घाटे की ओर मोड़ दिया।

    जियो के चलते एक ओर जहाँ अन्य सभी कंपनियों के राजस्व पर बेहद बुरा असर पड़ा वहीं दूसरी ओर कुछ कंपनियों को बाज़ार में टिके रहने के लिए एक दूसरे में विलय भी करना पड़ा।

    2016 में शुरू हुई रिलायंस की ‘जियो’ ने बहुत ही तेज़ी के साथ आगे बढ़ते हुए बहुत कम समय में भारतीय बाज़ार में करीब 20 करोड़ ग्राहकों का बेस तैयार कर लिया। इसी के साथ देश की दो बड़ी कंपनियों आइडिया और वोडाफोन को बाज़ार में टिके रहने के लिए आपस में विलय करना पड़ा। वहीं इसी विलय के बाद सक्रिय उपभोक्ताओं के मामले में नंबर एक पर विराजमान एयरटेल को अपनी कुर्सी छोड़ नंबर दो पर आना पड़ा।

    जियो ने अपने शुरुआती दो तिमाहियों से ही लाभ कमाना शुरू कर दिया था, जबकि तब जियो ने सिर्फ अपनी प्राइम मेंबरशिप की पेशकश की थी। इसके बाद से जियो ने अपने रीचार्ज प्लान बाज़ार में पेश कर दिए, जिसके चलते देश भर में सस्ते डाटा की क्रांति सी छा गयी। जियो के रीचार्ज के सामने कोई भी ऑपरेटर टिक नहीं पाया, आखिरी में सभी टेलीकॉम ऑपरेटरों अपने पुराने प्लानों को बाज़ार से हाटकर नए व सस्ते प्लान बाज़ार में उतारने पड़े।

    एक ओर जियो ने अपने सस्ते प्लानों के साथ अभी तक कोई बदलाव नहीं किया है, जिस वजह से एयरटेल जैसी दिग्गज कंपनी को लगातार तीसरी तिमाही में भी करीब 8.1 अरब रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।

    सेल्यूलर ऑपरेटर असोशिएशन ऑफ इंडिया (SOAI) ने मीडिया को जानकारी स्पष्ट करते हुए बताया है कि अभी इस इंडस्ट्री से और भी अधिक घाटे की खबरें बाहर आती रहेंगी।

    विशेषज्ञों के अनुसार अगर देश में टेलीकॉम सेक्टर को जिंदा रखना है तो अब सरकार को टैरिफ के रेट बढ़ाने होंगे।

    जियो और अन्य टेलीकॉम ऑपरेटरों की लड़ाई में अगर किसी का सबसे अधिक फायदा हुआ है तो वो है ग्राहक। भारत में जियो के आने के बाद एक ओर डाटा की कीमतें सीधा 20 गुना से भी ज्यादा नीचे आ गयी वहीं दूसरी ओर डाटा की खपत करीब 30 से 40 गुना बढ़ गयी।

    डेटा कीमत गिरावट
    इस चित्र में आप देख सकते हैं किस प्रकार एक जीबी डेटा की कीमत में गिरावट देखने को मिली है.

    एक रिपोर्ट के ही अनुसार भारत में पिछले वर्ष 1.5 अरब जीबी मोबाइल डाटा की खपत हुई है। भारत मोबाइल डाटा की खपत के मामले में अमेरिका और चीन संयुक्त आंकड़ों से भी आगे है।

    जियो के भारत के बाज़ार में प्रवेश करने से पहले भारत में 10 से भी ज्यादा सर्विस प्रदाता थे, जिनमे से बाज़ार में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ भारती एयरटेल पहले नंबर पर था।

    टेलिकॉम कंपनियां
    जिओ के आने से पहले टेलिकॉम जगत में कंपनियां

    वहीं अब देश में जियो के सामने बस दो ही बड़े ऑपरेटर बचे हैं। सरकारी उपक्रम बीएसएनएल को छोड़ दें तो वोडाफोन-आइडिया विलय के साथ भारती एयरटेल ही बाज़ार में 4जी नेटवर्क क्षेत्र में जियो को टक्कर दे रहा है।

    जिओ के आने के बाद टेलिकॉम जगत का हाल
    जिओ के आने के बाद टेलिकॉम जगत का हाल

    इससे पहले एयरसेल, यूनिनार समेत कई छोटी कंपनियां बाज़ार में अपनी पैठ बनाये हुए थीं।

    हाल ही में भारत सरकार ने टेलीकॉम संबंधी उपकरणों पर भी आयात शुल्क बढ़ा दिया है, ऐसे में अब सभी टेलीकॉम ऑपरेटरों के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी।

    हालाँकि जियो इस बार भी फायदे में ही रहा है, सिर्फ जियो ही अपने उपकरण सैमसंग से खरीदता है, जो एक दक्षिण कोरियाई कंपनी है। भारत और दक्षिण कोरिया के बीच हुए एक अनुबंध के अनुसार इन दोनों देशों के बीच कई समान पर आयात कर नहीं लगता है। टेलीकॉम संबन्धित उपकरण उसी दायरे में आते हैं।

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