अगस्त महीने में राहत देने वाली महँगाई की दर सितंबर माह में 5.13 % पहुँच गयी है, यही दर पिछले अगस्त माह में 4.53 प्रतिशत थी। खाद्य सामग्री में महँगाई 0.14 प्रतिशत तक बढ़ गयी है।
थोक बाज़ार में यही महँगाई जुलाई में 5.09 प्रतिशत थी। इसी तरह अगस्त में सब्जियों के दामों में 20.18 प्रतिशत की गिरावट दर्ज़ की गयी थी। जबकि सितंबर माह में यही दर घट कर 3.83 प्रतिशत है।
सितंबर माह में मूल मुद्रास्फीति 4.9 प्रतिशत थी, जबकि अगस्त में यही दर 4.8 प्रतिशत की थी। गैर खाद्य पदार्थों में सितंबर माह में 4.17 प्रतिशत की महँगाई दर्ज़ की गयी है, जबकि अगस्त में यही दर 3.8 प्रतिशत थी।
विशेषज्ञों के अनुसार ‘सीमा शुल्क व वैट घाटा लेने के बाद देश में ईंधन के दामों में कुछ कमी तो हुई है, लेकिन दूसरी ओर लगातार गिरता रुपया मुद्रास्फीति को आगे धकेल रहा है।’
इसी महीने वैश्विक स्तर पर रुपये के प्रदर्शन व आर्थिक मामलों में वैश्विक हालातों की वजह से ही आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति की बैठक में अपने रेपो रेट को स्थिर रखा था। इस बैठक में आरबीआई ने इस वर्ष अनुमानित खुदरा महँगाई की दर को 3.9 से 4.5 % के बीच रखा था।
इस दौरान सबसे ज्यादा मार झेलने वाले पेट्रोलियम गैस में मुद्रास्फीति 46.08, डीजल में 19.9 व पेट्रोल में यह दर 16.30 रही है।
इन हालातों को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वित्तीय वर्ष 2019 की दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति की दर 3.7 प्रतिशत रह सकती है।