संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्ड के आधार पर भारत में हासिल किये गए आधार कार्ड मान्य नहीं होंगे। गृह मंत्रालय ने निर्देश दिए कि भारत में वैध तरीके से रहने वाले प्रवासियों को ही आधार कार्ड जारी किया जायेगा।
विशेष सचिव बी एन शर्मा के नेतृत्व में हुई हाई कमान की बैठक में बताया कि यूएनएचसीआर कार्डधारक आधार कार्ड के लिए योग्य नहीं है। बैठक में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण को अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड जारी न करने की हिदायत दी गयी है।
गृह मंत्रालय की इस बैठक में बताया कि भारत ने साल 1951 में यूएन के शरणार्थियों से सम्बंधित परिपाटी और 1967 के प्रोटोकॉल पर दस्तखत नहीं किये हैं। इस लिहाज से यूएन के कार्ड पर आधार कार्ड जारी करने का कोई औचित्य नहीं बनता है। गृह मंत्रालय ने अवैध प्रवासियों को जारी आधार कार्ड को रद्द करने के निर्देश दिए है।
भारत में अभी 4.5 लाख यूएनएचआरसी कार्डधारक पंजीकृत है जो देश के विभिन्न भागों में रह रहे हैं। हालाँकि यूएन में मात्र 2 लाख शरणार्थी पंजीकृत है।
यूएनएचआरसी कार्डधारकों को भारतीय आधार कार्ड देना गैर-कानूनी और अनुचित है। गृह मंत्रालय ने राज्यों को अवैध प्रवासियों को जारी किये गए आधार कार्ड की सूची तैयार कर मंत्रालय भेजने को कहा है ताकि इन आंकड़ों को यूआईडीएआई के साथ साझा कर अवैध प्रवासियों के आधार कार्ड को निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू की जा सके।
ख़बरों के मुताबिक श्रीलंका, अफगान और तिब्बत के शरणार्थियों को सरकारी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड जारी किया गये हैं। देश में ऐसे कई राज्य है जहां यूएनएचआरसी के कार्डधारकों को आधार कार्ड जारी किया गया है।
मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि राज्य सरकार रोहिंग्या शरणार्थियों के अवैध तरीके से हासिल किये गए सरकारी दस्तावेजों को मसलन मतदाता पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस और राशन कार्ड को भी निरस्त कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने राज्य सरकारों को रोहिंग्या शरणार्थियों की गतिविधियों पर नज़र रखने के निर्देश दिए हैं।
भारत में सबसे अधिक म्यांमार, सोमालिया और अफगानिस्तान से आये शरणार्थी यूएनएचआरसी में पंजीकृत है। श्रीलंका के तमिल और तिब्बती धार्मिक अल्पसंख्यक समूह को भारत ने शरणार्थी का दर्जा दे रखा है।
यूएनएचआरसी से जारी शरणार्थी कार्ड शरणार्थियों को जबरन वापस भेजना और नज़रबंद रखने से संरक्षण प्रदान करता है। इस कार्ड के माध्यम से शरणार्थी सरकारी स्कूल में निशुल्क शिक्षा और सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज के पात्र होते हैं।