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    सचिन पायलट या अशोक गहलोत

    जैसे-जैसे राजस्थान विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजस्थान का सियासी तापमान बढ़ता जा रहा है। हाल ही में राहुल गांधी ने इशारों में ही सही मगर लगभग यह पक्का कर दिया है कि राजस्थान चुनाव में कॉंग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद के दावेदार सचिन पायलट होंगे।

    अगर राहुल गाँधी द्वारा दिये गए इशारों में जरा भी सत्यता है, तो सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद की दावेदारी मिलने के साथ ही कॉंग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का राजनीतिक करियर अब ढलान पकड़ लेगा।

    राजस्थान चुनाव प्रचार के दौरान अनेकों रैलियों में राहुल गांधी ने अशोक गहलोत को आड़े हांथों लेते हुए कहा है कि “पिछली कॉंग्रेस सरकार लोगों और कार्यकर्ताओं कि नहीं सुनती थी, लेकिन अब अगली सरकार सुनेगी।”

    राहुल गाँधी के इस बयान के तमाम सियासी मतलब निकाले जा रहे हैं, लेकिन उनमें से जो सबसे बड़ी बात के रूप में सामने आया है, वो ये है कि राहुल गांधी अब अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में नहीं देखना चाहते हैं। इसी के साथ ही राजस्थान में कॉंग्रेस के दूसरे सबसे बड़े नेता के रूप में सचिन पायलट का मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में चयन पक्का माना जा रहा है।

    मालूम हो कि राजस्थान में इसके पहले दो बार कॉंग्रेस की सरकार 1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक रही है और दोनों ही बार राज्य में कॉंग्रेस सरकार का नेतृत्व अशोक गहलोत ने ही किया है।लेकिन अब माना जा रहा है कि राजस्थान में कॉंग्रेस अब नए नेतृत्व की ओर अग्रसर है।

    अभी कुछ दिन पहले तक कॉंग्रेस राजस्थान में अपने मुख्यमंत्री पद के दावेदार की घोषणा नहीं करना चाह रही थी। कॉंग्रेस को ये आशंका थी कि इस वजह से पार्टी ‘गहलोत’ और ‘पायलट’ दो खेमों में बट सकती है और इसी के साथ पार्टी के भीतर फूट पड़ने के आसार भी पैदा हो सकते है। पार्टी के भीतर यह माहौल आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा के बाद तो पार्टी के लिए और भी ज्यादा आत्मघाती साबित हो सकता है, लेकिन अब कॉंग्रेस अपनी रणनीति को नए सिरे से बदलती हुई नज़र आ रही है।

    कॉंग्रेस के लिए राहत की बात ये है कि तमाम चुनावी सर्वे के अनुसार राजस्थान की चुनावी हवा फिलहाल कॉंग्रेस के पक्ष में बहती हुई बताई जा रही है। एक ओर जहां ये चुनावी सर्वे राजस्थान में कॉंग्रेस को भाजपा से आगे खड़ा बताते हुए 200 में से 80 सीटें दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इन्हीं सर्वे के अनुसार सचिन पायलट को अशोक गहलोत ही नहीं बल्कि राज्य में बीजेपी की वर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से भी अधिक लोकप्रिय बतया जा रहा है। ऐसे में राहुल गांधी के लिए मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में  सचिन पायलट का चुनाव करना अधिक कठिन नहीं नहीं होना चाहिए।

    इसी के साथ ही राहुल गांधी के लिए अशोक गहलोत सरदर्द बनकर भी उभर सकते हैं। अशोक गहलोत राजस्थान में कॉंग्रेस के सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं, वहीं राजस्थान में गहलोत की पकड़ बूथ स्तर पर है। ऐसे में गहलोत को नाराज़ करना कॉंग्रेस के गले की फाँस बन सकता है। मालूम हो कि गहलोत के साथ उनका जाति फैक्टर भी काम करता है।

    रोचक है कि हर तीसरे दशक में राजस्थान की राजनीति में एक ऐसी घटना होती है, जब कोई नेता किसी दूसरे नेता को दावेदारी से हटाने के साथ ही उसके राजनीतिक भविष्य पर भी बट्टा लगा देता है। इसके पहले 1970 में इन्दिरा गांधी ने मोहन लाल सुखाडिया और 2003 में वसुंधरा राजे ने भैरों सिंह शेखावत को किनारे कर दिया था। अब इसी सूची में सचिन पायलट और अशोक गहलोत का नाम भी उभरता हुआ दिखने लगा है। मालूम हो कि गहलोत 1990 से कॉंग्रेस का सक्रिय चेहरा हैं।

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