चीन में इस समय मुस्लिम बहुसंख्यकों वाले शिनजियांग प्रान्त में हलाला उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाने की मांग के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
चीन के अधिकारीयों का मानना है कि हलाल उत्पादों की वजह से लोगों में धार्मिक भावनाएं बढती हैं और यह समाज के लिए ठीक नहीं है।
सोमवार को उरुम्की कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने हलाला उत्पादों के विरुद्ध लड़ाई करने का ऐलान किया था। सूत्रों के मुताबिक हलाला उत्पाद टूथ पेस्ट और भोजन को इस्लामिक कानून के मुताबिक उत्पादित किए जाने की मांग की है।
दक्षिणपंथी समुदाय और अंतर्राष्ट्रीय सरकारों ने उइगर मुस्लिम समुदाय के उत्पीड़न के लिए चीन की आलोचना की थी। चीन पर आरोप था कि 10 लाख उइगर मुस्लिमों को कैंप में नज़रबंद कर रखा गया था।
बीजिंग ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा था कि उन्होंने शिनजियांग के उइगर मुस्लिमों के अधिकारों का हनन नहीं किया है। चीनी की सेना चरमपंथियों और अलगावादियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी।
चीनी विभाग ने बताया कि हलाल उत्पादों पर रोक की मांग, जो वास्तविकता में हलाल होते नहीं हैं इससे इस्लामिक धर्म के खिलाफ द्वेषभाव उत्पन्न हो रहा है और इस्लाम को धर्मनिरपेक्ष जिंदगियों को परेशान करने की इज़ाज़त दे रहा है।
हलाल विरोधी अभियान के उइगर अधिवक्ता ने कहा कि ‘दोस्त, तुम्हे मेरे लिए हलाल रेस्टॉरेंट खोजने की आवश्यकता नहीं है’।
उरुमकी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता ने बताया कि सरकार और उनके अधिकारी मार्क्सिस्म-लेनिनस्म पर अथाह विशवास करते हैं लेकिन धर्म पर नहीं करते हैं। चीनी नागरिक किसी भी धर्म को मानने के लिए स्वतंत्र है।
कम्युनिस्ट पार्टी ने अगस्त में अपने कार्यकर्ताओं के व्यवहार पर नियंत्रण के लिए नियमों में फेरबदल की सूची जारी की थी। इसके मुताबिक धार्मिक आस्था पर अडिग रहने वालों को सख्त सज़ा दी जाएगी।
हाल ही में चीन पर उइगर मुस्लिमों और ईसाई धर्म के नागरिकों पर अत्याचार के आरोप लगाए थे। उइगर मुस्लिमों को शिविरों में नज़रबंद कर कम्युनिज्म की शिक्षा दी रही थी। शहरों से धार्मिक आस्था के प्रतीकों को ध्वस्त किया जा रहा था। चीन मुस्लिम प्रवासियों की जानकारी और हरकतों पर नज़र बनाये हुए था।