विशेषज्ञों की मानें तो आरबीआई के द्वारा रेपो रेट को स्थिर रखने, अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा दरों को लगातार बढ़ाए जाने व अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तेज़ी से बढ़ते कच्चे तेल के दामों को देखते हुए ये अनुमान लगाया जा रहा है कि रुपया जल्द ही 75 रुपये प्रति डॉलर का आंकड़ा पार कर सकता है।
इसी के साथ कमजोर रुपये के सामने बाज़ार में तेज़ी से बढ़ रहे विदेशी निवेश से भी रुपये के लिए बधायेँ उत्पन्न हो सकती हैं।
आरबीआई ने रुपए की गिरती कीमतों के बारे में कुछ भी साफ बोलने से इंकार कर दिया है, लेकिन अनुमान ये है कि रुपया इस सप्ताह 73.5 रुपये प्रति डॉलर से 75 रुपये प्रति डॉलर तक रह सकता है।
इसी सप्ताह 74 रुपये प्रति डॉलर के आँकड़े को पार कर जाने वाला रुपया पिछले शुक्रवार को 73.76 रुपये प्रति डॉलर पर आकर बंद हुआ था।
रुपये की गिरती कीमतों से नॉन बैंकिंग फ़ाइनेंस कंपनियां सबसे ज्यादा परेशान है। एक ओर फेडरल रिज़र्व की बढ़ती दरें वहीं रुपये की लगातार गिरती कीमतों ने एनबीएफ़सी के बाज़ार को बुरी तरह से प्रभावित किया है।
विशेषज्ञों का मानना है लगातार कमजोर हो रुपये से घरेलू बाज़ार पर तो असर पड़ेगा ही साथ ही विदेशी वस्तुओं का आयात भी महँगा हो जाएगा। रुपये की कमजोरी की ही वजह से हमें कच्चे तेल की खरीद के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है।
इसका सीधा प्रभाव बाज़ार पर दिखाई देता है जिसके चलते सारा बोझ आखिरी में आम जनता के कंधो पर आ जाता है।
पिछले शुक्रवार बाज़ार मंद होने पर रुपया 73.77 रुपये प्रति डॉलर पर आकार बंद हुआ था, यही आंकड़ा उससे पिछले हफ्ते बाज़ार बंद होने तक 1.29 रुपये के सुधार के साथ 72.48 रुपये प्रति डॉलर पर था।