जो छात्र इस समय अमेरिका में रह कर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं, उन छात्रों के लिए आर्थिक लिहाज़ से ये समय बिलकुल भी उचित नहीं है। कारण है रुपये में आई इतनी बड़ी गिरावट।
आमतौर पर अमेरिका जैसे देशों जा कर अपनी पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों को ऐसी मुसीबतों का सामना नहीं करना पड़ता है, लेकिन इस बार एक ओर जहां छात्रों को आर्थिक दृष्टि से लगातार परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत में बैठे उनके परिजनों के ऊपर भी अधिक बोझ पड़ रहा है।
डॉलर के मुक़ाबले कमजोर होते रुपये की वजह से अमेरिका में भारतीय छात्रों से ली जाने वाली फीस में 3 लाख रुपये प्रति महीने तक का इजाफा किया गया है, इसी कारण वहाँ रहने वाले अनेकों छात्रों को अपनी जरूरतों को पूरा करने व अपनी पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए पार्ट-टाइम नौकरी का सहारा भी लेना पड़ रहा है।
वहाँ रहने वाले छात्रों के परिजनों के मुताबिक रुपये की गिरावट के बाद अपने बच्चे के लिए अब उन्हें 5 लाख रुपये प्रति महीने तक का खर्चा उठाना पड़ रहा है, अभी कुछ दिन पहले ही ये ख़र्च 2.5 से तीन लाख रुपये था।
अमेरिका ही नहीं यूरोपीय देशों में भी पढ़ने वाले छात्रों के लिए भी दिन उतने ही खराब है। पाउंड की कीमत जहां 85.5 से 96.7 रुपये पहुँच गयी है, वहीं दूसरी ओर यूरो भी 76.3 से 84.8 रुपये पर आ पहुंचा है।
ऐसे में इन देशों में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों के लिए ये काफ़ी मुश्किल समय है।