Fri. Nov 22nd, 2024
    सुषमा स्वराज

    संयुक्त राष्ट्र की आतंक विरोधी बैठक में भारत की कानूनी सलाहकार ने कहा कि भारत को खेद है कि यूएन आतंकवाद से निपटने के लिए कानूनी ढांचा बनाने में असमर्थ है। कानूनी प्रयासों को अमलीजामा पहनाकर ही आतंकियों के ठिकाने और उनके सहयोगियों को तबाह किया जा सकता है।

    भारत ने कहा कि कॉम्प्रिहेंशन कन्वेंशन इंटरनेशनल टेरिरीज्म (सीसीआईटी) कानून आतंकियों से लड़ने के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। यह उन सदस्य देशों के हित में है जो आतंकवाद के विरुद्ध लड़ना चाहते हैं।

    कानूनी मसलों की बैठक में भारतीय सचिव ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को दो आंतकवादियों के मध्य बने पुल और उनके सहोगियों का खुलासा कर उन्हें तबाह कर देना चाहिए। इस मसले पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की एक टीम की जरुरत भी होगी जो इसके दायित्व और न्याय को सुनिश्चित कर सके।

    यूएन का सीसीआईटी कानूनी हथियार को रजामंदी न दिला पाना उनकी असमर्थता को दर्शाता है। आतंकवाद विश्व में खतरे की तरह मंडरा रहा है। यूएन की खामी है कि वह आतंकियों के गढ़, आर्थिक मदद और सहयोगीयों को रोकने के लिए प्रयास नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा यूएन की तरफ से प्रतिबंधो को लागू करने वाली समिति की कार्यप्रणाली अपारदर्शी और राजनीति से प्रेरित है।

    चीन वीटो का इस्तेमाल कर पाकिस्तान के आतंकी अजहर महमूद को वैश्विक आतंकियों की सूची में शामिल करने से बचा लेता है। उन्होंने यूएन पर दबाव बनाते हुए कहा कि इस संशोधन को पूर्ण कर लागू कर देना चाहिए।

    भारतीय सचिव ने कहा भारत भी आतंकवाद से पीड़ित देश रहा है। भारत आतंकवाद के खिलाफ एक सक्रिय और महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। उन्होंने कहा दक्षिण एशिया में कई आतंवादी समूह सक्रिय है। जिसमे तालिबान, जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा और  अल-कायदा जैसे आतंकी समूह है।

    पाकिस्तान की और इशारा करते हुए कहा कि पाकिस्तान जैसे देश राजनैतिक मकसदों को अंजाम देने के लिए इन आतंकियों का सहारा लेते हैं, उन्हें पनाह देते है और साथ ही आर्थिक मदद भी करते हैं।

    आतंकवाद का प्रसार एक चिंताजनक मुद्दा है इस पर जल्द कार्य आरम्भ होना चाहिए। इस पर नकेल न कसने से नुकसान, तबाही और मासूम लोगों की जाने जायेंगी।

    उन्होंने कहा भारत को विशवास है कि अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता से आतंकवाद से निपटा जा सकता है। भारत ने यूएन सचिव के आतंक रोधी दफ्तर की स्थापना के फैसले का स्वागत किया है और इसे एक सकारात्मक कदम बताया है।

    भारत सरकार ने इस दफ्तर में 550000 डॉलर के सहयोग का ऐलान किया है। भारत ने दोहराया कि उन्होंने साल 2017 में यूएन के सीसीआईटी कानून का समर्थन किया था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *