रूस के राष्ट्रपति व्लामिदिर पुतिन 19वीं सालाना भारत-रूस शिखर सम्मलेन में शरीक होने के लिए दिल्ली दौरे पर आये हैं।
शुक्रवार को रुसी राष्ट्रपति भारतीय प्रधानमंत्री के साथ औपचारिक बैठक के लिए हैदराबाद हाउस जायेंगे। वहीँ वीरवार शाम को दोनों राष्ट्रों के प्रमुखों ने द्विपक्षीय वार्ता की।
दोनों नेताओं की अनौचारिक मुलाकात पांच माह पूर्व सोची में हुई थी।
इस द्विपक्षीय वार्ता से दोनों राष्ट्रों के मध्य रिश्तों में उर्जा का एक नया संचार होगा। रूस में भारतीय दूतावास के अधिकारी ने बताया कि भारत और रूस के बीच संबंधों के समीकरण बदल रहे हैं।
उन्होंने कहा रुसी सरकार के बाज़ार, रणनीतिक, वैश्विक हित है जिन्हें वह भारत के माध्यम से पूरा करने चाहती है।
उन्होंने कहा यह पहली बार नहीं है जब रूस ने पाकिस्तान को अपने हितों के लिए पिछे धकेल दिया है। रूस को बोध है कि भारत एक विशाल बाज़ार और लोकतान्त्रिक देश है जिससे अपने हितों को साधा जा सकता है।
दूतावास अधिकारी ने कहा कि रक्षा क्षेत्र दोनों राष्ट्रों के मध्य एक अहम रिश्ता जोड़ता है और एस-400 को खरीदने का शर्ते पूर्ण हो चुकी है। उन्होंने कहा भारत अमेरिका के विरोध के बावजूद रूस से एस-400 रक्षा प्रणाली का सौदा करेगा।
भारत समझता है कि इस सौदे से अमेरिका और भारत के रिश्तों में कोई परिवर्तन नहीं आएगा।
भारत और अमेरिका के मध्य हुई 2+2 वार्ता से वांशिगटन भारत का रक्षा क्षेत्र में मजबूती को समझता है। यह सिर्फ भारतीय हित में ही नहीं है बल्कि इससे अमेरीका का भी फायदा होगा।
अमेरिका ने रूस पर कासटा के तहत प्रतिबन्ध लगा रखे हैं जिसके तहत कोई देश रूस से हथियार का सौदा नहीं कर सकता है। हाल ही में चीन ने रूस से सैन्य उपकरण का सौदा किया था जिसके विरोध में अमेरिका ने चीनी सेना पर प्रतिबन्ध लगा दिए थे।
अलबत्ता भारत को सौदे के अदायेगी में दिक्कत हो सकती है। हालांकि रुस ने आश्वासन दिया है कि भारत रूसी मुद्रा रूबेल या भारतीय मुद्रा रूपए में कीमत चुका सकता है।
रुसी प्रतिनिधि ने कहा कि अमेरिका के यह प्रतिबन्ध रूस और भारत को नजदीक आने में रोड़ा अटका रहे हैं। साथ ही व्यापार को भी हानि पहुंचा रहे हैं।