फेसबुक ने इस बात को स्वीकार किया है कि उसके द्वारा लिये जा रहे यूजर्स के नम्बर का उपयोग विज्ञापन को टारगेट करने में किया जा सकता है।
फेसबुक अपने यूजर्स से उनके फ़ोन नंबर ‘टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन’ के लिए लेता है। माना जाता है कि इस तरह से यूजर्स के अकाउंट की सुरक्षा और भी पुख्ता हो जाती है। इस तकनीक में फेसबुक एसएमएस के द्वारा यूजर के फोन पर कोड़ भेजता है, जिसे ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) कहा जाता है। जिसके चलते यूजर को अपने अकाउंट की अधिक सुरक्षा मिल जाती है।
हालांकि पहले भी फेसबुक द्वारा कहा गया था कि यूजर के फोन नंबर से वो उनकी सुरक्षा को और भी पुख्ता करने की कोशिश करता है, लेकिन फेसबुक का हाल ही में ये स्वीकार करना कि इस तरह से जुटाये गए नंबरों का उपयोग किसी भी नैतिक या अनैतिक कार्य के लिए किया जा सकता है, एक चिंता का विषय है।
इसी तरह से फेसबुक आपको अपनी कांटैक्ट लिस्ट को फेसबुक के साथ सिंक करने का भी ऑप्शन देता है, जिसके दारा आप न जानते हुए भी अपने सभी दोस्तों या परिचितों के नम्बरों को फेसबुक को दे देते हैं और इस तरह से उन सभी नम्बरों का उपयोग विज्ञापन को टारगेट करने के लिए हो सकता है।
हालाँकि फेसबुक ने इस बात पर सफाई देते हुए कहा है कि उसे पता है कि उसे अपने यूजर्स का ख्याल कैसे रखना है।
इससे पहले अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की मदद करने के लिए उसे लताड़ भी पड़ी थी। तब फेसबुक पर आरोप था कि उसने अपने यूजर्स का डेटा कैंब्रिज एनालिटिक को दिया, जिसका उपयोग बाद में ट्रंप की प्रचार नीति को बनाने में किया गया था।
हालाँकि तब भी फेसबुक ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को नकार दिया था, लेकिन उसे बाद में अमेरिकी कोर्ट में इसकी सफाई देनी पड़ी थी।