एक ओर जहाँ देश में तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से हाहाकार मचा हुआ है, जनता त्रस्त है, वहीं इसके जवाब में सरकार की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया है कि “भारत जैसी मजबूत अर्थव्यवस्था में वर्तमान में रुपये की गिरती हुई कीमत व तेल के बढ़ते दाम महज़ एक छोटे से तूफान की तरह है।” ये बयान वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा किया गया है।
उन्होने ये भी कहा है कि “जहाँ हमारा नियंत्रण है वहाँ हम देश को इस संकट से निकालने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं, इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए हमने उन सामानों पर अतिरिक्त आयात कर लगाया है जो रोज़मर्रा की जरूरतों से संबन्धित नहीं है। इसी के साथ ही हम पेट्रोल और डीज़ल की खपत को भी कम करने की कोशिश कर रहे हैं।”
इसी के साथ उन्होने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि वर्तमान में चल रहे संकट के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था सतत रूप से आगे बढ़ रही है और अभी भी विदेशी निवेशकों द्वारा भारत में एफ़डीआई के तहत निवेश की प्रबल संभावनाएं बनी हुई हैं।
इसी क्रम में सरकार ने पिछले बुधवार 19 तरह की वस्तुओं पर आयात कर बढ़ा दिया था। जिसमें एसी, घरेलू फ्रिज तथा वॉशिंग मशीन जैसी कई वस्तुएं शामिल हैं।
इसके आगे उन्होने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि “बढ़े हुए आयात शुल्क को लागू करने से पहले इसका गहन विश्लेषण किया गया था कि इस कर का आम जनजीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा।”
आयात शुल्क बढ़ाए जाने वाली वस्तुओं में विमान ईंधन भी शामिल है, जिस पर करीब 5 से 10 प्रतिशत तक का अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है, जो पहले महज़ शून्य फीसदी था।
माना ये जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से विमान यात्रियों के खर्चे में काफी बढ़ोतरी होगी। हालांकि उन्होने ये भी कहा कि भारत विमान ईंधन का महज़ 30 फीसद हिस्सा ही आयात कर रहा है, जिसकी वजह से यात्री किराए में कोई खास फर्क नहीं पड़ना चाहिए।