पाकिस्तानी उच्च विभाग ने लन्दन की अदालत में जबीर मोती के खिलाफ चल रही सुनवाई में एक चिट्ठी न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत की। इस चिट्ठी में जबीर मोदी के जमानत की अपील की गई थी जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।
जबीर मोती का अपराधिक दुनिया के बादशाह अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम के साथ गहरा याराना है। ब्रिटेन की अदालत से वीरवार को जबीर को जमानत देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
पाकिस्तान सरकार ने ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय को लिखे पत्र में जबीर मोती को ‘अच्छे चरित्र वाला आदमी’ कहकर संबोधित किया था।
जबीर मोदी को लन्दन की अदालत में चल रही कार्यवायी में डी कंपनी का वरिष्ठ सदस्य और बड़ा प्रतिनिधि कहा है। लन्दन की अदालत में दाऊद इब्राहिम का नाम नहीं लिया गया लेकिन जज ने इस आतंकवादी समूह के मालिक के तार पाकिस्तान से जुड़े होने की बात कही है।
जबीर मोती का अदालत में जबीर मोतीवाला नाम हैं। जबीर को बीते महीने लन्दन के होटल से गिरफ्तार किया गया था। जबीर पर काले धन को वैध बनाने के गौरखधंधे और जबरन वसूली के आरोप लगे है। इस पर अमेरिका द्वारा प्रत्यर्पण का मुकदमा भी दर्ज है।
अदालत में पहली जबीर मोती के खिलाफ पहली सुनवाई अगस्त में हुई थी जहां जबीर मोती की जमानत की याचिका को खारिज कर दिया था और दूसरी जमानत याचिका को वीरवार को निरस्त कर दिया था।
पाकिस्तानी उच्चायोग के द्वारा भेजे गये पत्र में जबीर को जमानत देने के लिए कई आश्वासन दिए गये थे। चिट्ठी में जबीर के फरार न होने और जमानत की समयसीमा को न लांघने की गारंटी दी गयी थी। न्यायाधीश ने कहा कि पाकिस्तानी उच्चायोग का पत्र जबीर की जमानत याचिका के पक्ष में था।
उन्होंने कहा जबीर पाकिस्तान में एक इज्ज़तदार व्यापारी है लेकिन जबीर के पास पासपोर्ट के अलावा और यात्रा का कोई दस्तावेज मौजूद नहीं है। जबीर मोती के वकील ने कहा कि वह डी कंपनी का गुर्गा नहीं है और यह सारे आरोप निराधार है। साल 1950 से जबीर कराची में टैक्स अदा करके व्यापार कर रहा है।
अदालत ने बताया कि आरोपी को कई नामों से जाना जाता है। पाकिस्तानी पासपोर्ट में आरोपी का नाम जबीर सिद्दकी है जबकि गिरफ्तारी के दौरान मिले दस्तावेजों में उसका नाम जबीर मोतीवाला है।
जबीर मोती 10 साल की वीजा अवधि पर व्यापार के लिए ब्रिटेन आया था जिसकी समयसीमा उसके गिरफ्तार होने से पहले समाप्त हो गई थी।