रुपया इस समय अपनी मजबूती के लिए बाज़ार में जूझता हुआ दिख रहा है। काफी मशक्कत के बाद भी रुपये में कोई स्थिर सुधार देखने को नहीं मिल पा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में इस तरह कमजोर होता रुपया भारतीय बाज़ार में भी लंबे समय के लिए अपना असर छोड़ सकता है।
बुधवार को 8 पैसे फिसलकर रुपया 72.61 रुपये प्रति डॉलर तक पहुँच कर बंद हुआ। यही रुपया मंगलवार को बाज़ार बंद होने पर 72.69 रुपये प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था।
भारतीय मुद्रा का प्रदर्शन पूरे एशिया की अन्य मुद्राओं की तुलना में सबसे ज़्यादा ख़राब रहा है। इस दौरान भारतीय मुद्रा ने करीब 13 प्रतिशत का नुकसान उठाया है। इसी के साथ ही रुपया रोज़ ही अपने निम्नतम स्तर के नए शिखरों को छू रहा है।
रुपये की गिरती कीमत भारतीय आम बाज़ार को लगातार परेशान कर रही है। एक ओर कच्चे तेल की ख़रीद के लिए भारत को अतिरिक्त राशि चुकानी पड़ रही है, वही दूसरी ओर रुपये की गिरती कीमत देश में आयात के लिए नया सबब बनती जा रही है।
देश में अभी इस तरह की स्थिति बनी रह सकती है। 2019 के चुनावों को मद्देनजर रखते हुए देश अभी अपनी राजनीतिक अस्थिरता से गुज़र सकता है, जिस कारण रुपया अभी और लंबे समय तक इसी स्थिति में रह सकता है।
अभी कुछ दिनों पहले ही सरकार ने 19 तरह के सामानों पर निर्यात शुल्क को बढ़ा दिया था। माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम के बाद अब रुपया कुछ हद तक सुधर सकता है।