भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने ईरानी समकक्ष जावेद जरीफ के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। साथ ही उन्होंने तेहरान पर अमेरिका द्वारा लगाये गये प्रतिबन्ध के विषय में भी बातचीत की। सबसे बड़े कच्चे तेल के निर्यातक पर यह प्रतिबन्ध नवम्बर से लागू हो जायेंगे।
दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के मध्य यह वार्ता संयुक्त राष्ट्र की 73 वीं सभा के इतर हो रही थी। साथ ही भारतीय विदेश मंत्री ने ईरान की यूरोपीय संघ के साथ परमाणु संधि की स्थिति का भी जायजा लिया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने प्रतिबंधो के बाबत बताया कि भारत सभी हितधारकों से जु़ड़ा हुआ है जिसका ईरान भी सदस्य है इसलिए बैठक के दौरान इस मसले पर बातचीत जरुरी थी।
उन्होंने कहा दुनिया के हर कोने में तरक्की हो रही है। उन्होंने कहा ईरानी विदेश मंत्री ने तेहरान की यूरोपियन संघ के साथ हुई परमाणु संधि के विषय में भी बताया। उन्होंने कहा हमने उनकी बातचीत पर गौर किया साथ ही अपनी स्थिति से भी अवगत करवाया।
उन्होंने कहा समझने की बात है की ईरान पर प्रतिबन्ध लागू होने के बाद भारत अन्य हितधारकों और देशों से जुड़ा हुआ है। रवीश कुमार ने हाल ही में हुई 2+2 वार्ता का हवाला देते हुए कहा कि अमेरिका नई दिल्ली की उम्मीदों और चिंताओं पर संवेदनशील है।
उन्होंने कहा भारत राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा को सुनिश्चित करने पर कार्य कर रहा है। मई में डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान से साल 2015 में हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था।
इस संधि के तहत ईरान संवेदनशील परमाणु गतिविधियों पर अंकुश लगाने को तैयार हो गया था और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आर्थिक प्रतिबन्ध हटाने के लिए राज़ी किया था।
अमेरिका ने भारत और अन्य देशों को चार नवम्बर से लागू हो रहे प्रतिबन्ध के बाद ईरान से तेल निर्यात करने के लिए मना कर दिया है।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रतिबन्ध लागू होने से पहले भारत अपने सभी साझेदारों और सहयोगी देशों से इस मुद्दे पर बातचीत करेगा।
साथ ही उन्होंने कहा उम्मीद है कि नई दिल्ली ने जो अमेरिका को अपनी चिंताओं, संवेदनाओं और स्थिति से अवगत कराया है वशिगंटन उस पर विचार करेगा। यह सिर्फ ईरान से तेल खरीदने का सवाल नहीं है बल्कि दोनों देशों के रिश्तों का है। इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान भारत का सबसे बड़ा तेल निर्यातक है।