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    अनिल-अम्बानी-आरकॉम

    रिलायंस कम्युनिकेशन के लगातार होते घाटे से परेशान हो कर अब अनिल अंबानी इस कंपनी का बड़ा हिस्सा बेच देना चाहते हैं। मालूम हो कि अनिल अंबानी की आरकॉम कभी देश की नंबर 2 कंपनी हुआ करती थी। मगर फिर धीरे धीरे बाज़ार पर इसकी पकड़ ढीली होती चली गयी।

    अनिल अंबानी के इस फैसले के बाद आरकॉम संबन्धित कोई भी फैसला ले सकने का अधिकार अनिल के पास नहीं रहेगा।

    इसके पहले अनिल ने एयरवेव्स, टावर, अंडरग्राउंड केबल व डाटा सेंटर बिजनेस को अपने बड़े भाई मुकेश अंबानी को बेंच दिया था।

    कभी देश में नंबर 2 पर रही आरकॉम आज कर्ज़ में बुरी तरह से फसी हुई है। इस समय अनिल अपने कई प्रतिद्वंदियों से भी आरकॉम को बेचने को लेकर बात कर रहे हैं।

    हालाँकि इसके पहले अनिल अंबानी रक्षा के कारोबार मेन उतरने का भी मन बना चुके हैं, जिसके बाद माना जा रहा है कि इस तरीके के शायद अनिल अंबानी के व्यापार को थोड़ी राहत मिलेगी।

    हालाँकि उधर भी अनिल का काम इतना आसान नहीं है। रिलायंस डिफेंस का नाम कई दफा राफेल डील में विवाद के मद्देनजर घसीटा जा चुका है, जिसके बाद उन्हे कोई बड़ा प्रोजेक्ट अभी मिले इसकी संभावना कम ही है।

    इस समय मुंबई में बिज़ली की आपूर्ति कर रही रिलायंस इनफ्रास्ट्रक्चर फिलहाल करीब 66% तक कर्ज़ में डूबी ही है, ऐसे में अनिल अंबानी की इससे मिल सकने वाली उम्मीद पर भी गृहण लगता हुआ नज़र आ रहा है।

    इसके पहले अनिल ने इसे चीन की सिटिक टेलीकॉम को 500 मिलियन डॉलर में बेचने को लेकर बातचीत शुरू की थी, लेकिन सिटिक टेलीकॉम में नए सीईओ की नियुक्ति बाद उनकी ये डील अपने चरम पर नहीं पहुँच पायी थी।

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