एसोसिएशन ऑफ़ म्यूच्यूअल फंड्स ऑफ़ इंडिया (एम्फी) की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की सभी विकसित व विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत के म्यूचुअल फंड्स ने पिछले 10 सालों में करीब 12.5% की वार्षिक दर के साथ सभी को पीछे छोड़ दिया है।
इसी के साथ ही भारतीय म्यूच्यूअल फंड्स इंडस्ट्री द्वारा संचालित संपत्ति पिछले साल की तुलना में 17.33% बढ़कर 23.96 खरब रुपये तक पहुँच गयी है।
पिछले साल इसी समय भारत में इक्विटी बाजार उफान पर था। माना जा रहा है इस समय भारत में निवेश के लिए एकदम अनुकूल माहौल है, जिसके चलते निवेशकों का इस पर लगातार ध्यान बना हुआ है।
पूंजी बाज़ार में म्यूचुअल फंड्स के शेयर करीब 18.4% तक की ऊंचाई तक गए हैं। यही शेयर मार्च 2014 तक महज 8.5% पर थे।
इसी के साथ ही देश के भीतर से भी निवेशकों ने इस पर अपना भरोसा दिखाया है। नोटेबन्दी के बाद म्यूच्यूअल फंड्स में लगने वाले पैसे में गजब की उछाल देखने को मिली है।
माना जा रहा है कि म्यूचुअल फंड में निवेश को बचत के साधन के रूप में भी देखा जा रहा है। पिछले कुछ सालों में म्यूचुअल फ़ंड का जमकर प्रचार हुआ है, जिसकी वजह से म्यूचुअल फंड ने अब निवेश के एक सफल माध्यम के रूप में अपनी पहचान बना ली है।
वाह, क्या बात है!