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    फ्रांस राष्ट्रपति मैक्रॉन

    फ्रांस से रफाल लड़ाकू विमान खरीदने के विवाद पर गहमागहमी बनी हुई है। मामला तब और तूल पकड़ गया जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ़्रन्कोइस ओलांद ने कहा कि इस सौदे में भारत सरकार ने रिलायंस को शामिल करने का प्रस्ताव दिया था।

    इससे बहस इतनी बढ़ गई की फ्रांस के राष्ट्रपति इम्मानुएल मक्रों को सफाई देनी पड़ी। फ्रांससी राष्ट्रपति ने कहा सितम्बर 2016 में हुए इस सौदे के समय वह राष्ट्रपति के पद पर नहीं थे। उन्होंने कहा वह पद पर नहीं थे लेकिन फ्रांस की सरकार के क़ानून स्पष्ट है।

    यह सौदा सरकार और सरकार के बीच का है। यह गठबंधन भारत और फ्रांस के बीच रक्षा और सेना का गठबंधन है। फ़्रइन्कोइस ओलांद ने कहा था भारत सरकार ने अनिल अम्बानी की रिलायंस को रफाल का निर्माण करने वाली दसौल्ट एविएशन का साझेदार बनाने का ऑफर दिया था।

    इम्मानुएल मक्रों ने न्यूयोर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र की बैठक से इतर बयान दिया कि कुछ समय पूर्व जो भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा वह उसी को दोहराना चाहेंगे। उन्होंने कहा रिलायंस डिफेन्स को दसौल्ट एविएशन का साझेदार के तौर पर चयनित करने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।

    उन्होंने कहा कि फ्रांस सरकार के लिए भी चिंता का सबब है कि उन्हें इस मसले में घसीटा जा रहा है। जबकि भारतीय साझेदार को चुनने का हक विमान बनाने वाली कंपनी का है।

    भारतीय रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस की मीडिया ख़बरों का हवाला देते हुए कहा कि इस विवाद को तूल देने का मकसद पूर्व राष्ट्रपति ओलांद का अनिल अम्बानी से निजी कटुता है। रिलायंस एंटरटेनमेंट ने फ़्रन्कोइस ओलांद की पूर्व दोस्त और अभिनेत्री जूली गयेत की फिल्म पर रकम लगाई थी।

    रक्षा मंत्रालय ने कहा की दसौल्ट एविएशन का 59000 करोड़ के सौदे में अभी अधिकारिक साझेदार का ऐलान करना बाकी है। निर्देशों के मुताबिक निर्माता  कंपनी को निर्माण कार्य के साझेदार की सूचना देनी होगी। इसकी अंतिम तिथि साल 2020 है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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