Sat. Nov 23rd, 2024

    आधार कार्ड के संवैधानिक दर्जे को चुनौती देनेवाले याचिकाओं पर सुप्रीमकोर्ट अपना फैसला कल सुनाएगा। चार महीनों के 38 दिनों तक चली सुनवाई के बाद, मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेच ने अपना फैसला मई में सुरक्षित रख लिया था।

    12 अंको वाले बायोमेट्रिक नंबर को विभिन्न सरकारी योजनाओं और सेवाओं को जोड़े जाने को संविधान द्वारा दिए गए निजता के आधिकार का हनन कहा गया था। इस साल मार्च में शीर्ष न्यायलय ने मोबाइल फ़ोन और बैंक एकाउंट्स को आधार कार्ड से जोड़ने की समयसीमा अगला फैसला आने तक अनिश्चित काल के लिए बढ़ा दी थी।

    सर्वोच्च न्यायालय, यह सुनिश्चित करेगा की आधार कार्ड संविधान में दिए गए किसी भी मौलिक आधिकारों का उल्लंघन तो नहीं कर रहा।

    इससे पहले केंद्र सारकार ने लगभग सभी योजनाओं के लिए आधार कार्ड का होना अनिवार्य कर दिया था। पैन कार्ड, बैंक अकाउंट, पासपोर्ट, मोबाइल फ़ोन, ड्राइविंग लाइसेंस आदि के लिए आधार कार्ड का होना जरुरी था।

    आधार कार्ड के विरोध में दायर याचिका में कहा गया था, आधार कार्ड को (सरकार द्वारा) अनिवार्य नहीं किया जा सकता। आधार डाटा लीक का उदाहरण देते हुए याचिकाकर्ताओं ने आधार कार्ड डेटाबेस से जुडी त्रुटियों उजागर किया हैं।

    संविधान पीठ के निर्णय से कल आधार कार्ड की संवैधानिकता से जुड़े सभी प्रश्न दूर हो जाएँगे। यह निर्णय केंद्र सरकार के लिए भी महत्वपूर्ण होगा, क्योकी अगर शीर्ष अदालत में आधार कार्ड को संवैधानिक करार दिया जाता हैं, तो सरकार द्वारा आधार कार्ड को अन्य सरकारी योजना से जोड़े जाने किए लिए आदेश दिए जा सकते हैं।

    By प्रशांत पंद्री

    प्रशांत, पुणे विश्वविद्यालय में बीबीए(कंप्यूटर एप्लीकेशन्स) के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीती, रक्षा और प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज में रूचि रखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *