विश्व की तीन सर्वश्रेष्ठ रेटिंग एजेंसी में शुमार फिच ने ये दावा किया है कि अगले वित्तीय वर्ष यानी 2019 में भारत की विकास दर 7.8 प्रतिशत तक जा सकती है।
फिच ये स्पष्ट तौर पर कहा है कि जिस तरह से सभी एशियाई मुद्रा की तरह डॉलर के मुकाबले रुपया गिर रहा है, इससे देश की विकास दर प्रभावित होगी। फिच ने इसके साथ ही इस बात पर भी ज़ोर दिया कि इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने अभी तक कोई उचित कदम नहीं उठाया है।
हालाँकि फिच ने बताया कि कि इससे पहले उसने वित्तीय वर्ष 2018 -2019 के लिए विकास दर के लिए जो पूर्वानुमान लगाया था वो 7.8 प्रतिशत था लेकिन बाद में उसे संसोधित करते हुए विकास दर का अनुमान 7.4 प्रतिशत लगाया गया।
ये बात भी अचरज भरी रही कि फिच ने अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ को 7.7 प्रतिशत आँका था,जबकि इस दौरान जीडीपी ग्रोथ 8.2 प्रतिशत रही।
फिच ने इस बात पर भी ज़ोर देकर कहा कि देश की वित्त नीतियाँ हमेशा देश के विकास की सहयोगी होनी चाहिए। ये देखना होगा कि 2019 के शुरुवाती महीनों में होने वाले चुनाव को भी मद्देनजर रखते हुए सरकार अब क्या कदम उठाती है, जिससे विकास दर को एक समान दिशा मिल सके।
इसी के साथ ही फिच ने वित्तीय वर्ष 2019-20 व 2020-21 की विकास दर के पूर्वानुमान में 0.2 प्रतिशत की कटौती की है।
अनुमान लगाया जा रहा है कि तेल की बढ़ती कीमतें जीडीपी ग्रोथ को प्रभावित करेंगी, लेकिन आरबीआई गिरते रुपये पर लगातार नज़र बनाए हुए है और ये माना जा रहा है कि जल्द ही रुपये में सुधार देखने को मिलेगा, जोकि आगे चलकर जीडीपी की ग्रोथ में मदद करेगा।