वैश्विक समुदाय आज विश्व शान्ति दिवस का जश्न मना रहा है। प्रतिवर्ष शान्ति दिवस 21 सितम्बर को मनाया जाता है जिसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1982 में की थी। संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को दो राष्ट्रों और जनता के बीच शान्ति के आर्दशों को मज़बूत करने का ऐलान किया था।
परिवार के दो सदस्यों से लेकर दो राष्ट्रों तक सुकून के सफरनामें की सास अब फूलती सी दिखती है। बहरहाल इससे पूर्व सालाना विश्व शान्ति दिवस सितम्बर के हर तीसरे मंगलवार को मनाया जाता था हालाँकि वर्ष 2001 से इसकी तारीख 21 सितम्बर कर दिया गया। 21, सितम्बर को मनाये गए पहले विश्व शान्ति दिवस का विषय जनता को शान्ति का मौलिक अधिकार प्रदान करना था।
संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने साल 2015 में कहा था कि जनता को शांति का अधिकार देकर ही एक सुकून भरी दुनिया कि नींव राखी जा सकती है। उन्होंने कहा था कि शान्ति कि स्थापना के लिए आर्थिक और सामाजिक विकास करना जरूरी है।
संयुक्त राष्ट्र ने 17 विकास के मुद्दों को पूरा करने का प्रण लिया। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दें शामिल है। विश्व शान्ति दिवस के इस वर्ष का थीम ‘शान्ति का अधिकार है’।
उन्होंने घोषणा की कि मानवाधिकार 70 साल का हो चुका है। संयुक्त राष्ट्र को मानवाधिकार को गोद लिए हुए 7 दशक हो गए है उन्होंने 10, दिसंबर, 1948 को पेरिस में मानवाधिकार के गठन का ऐलान किया था।
इस घोषणा का 135 भाषाओँ में अनुवाद किया गया था। इसके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्रता और सुरक्षा का अधिकार है। स्वतंत्रता, न्याय और शान्ति विश्व कि नींव है। अलबत्ता समस्त विश्व इन्ही अधिकारों के हनन का कड़वा घूट पी रहा है।
आज दुनिया आतंकवाद, चरमपंथ, अलगाववाद, सहिषुणता, और सियासत की दमनकारी नीतियों की गिरफ्त में है। अमन और चैन किसी राष्ट्रवादी सियासत की पोटली में बंद है।