भारत में जहां अन्नदाता रोजाना धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगों को मानवाने के लिए सरकार पर दबाव डाल रहे हैं वहीं अमेरिका भारत में किसानों को सब्सिडी देने से नाराज़ बैठा है।
अमेरिका ने भारत पर आरोप मढ़ा है की वह गेहूं एवं चावल उत्पादक कृषकों को तय नीति से अधिक सब्सिडी देकर नियमों का उल्लंघन कर रहा है।
वाशिंगटन ने कहा हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे यह नीतियों के विरुद्ध है अन्य देशों को भी इसका विरोध करना चाहिए। चीफ एग्रीकल्चर नेगोशिएटर ऑफिस ऑफ यूएस रिप्रेशेंटिव ग्रेग डेड ने बताया कि भारत सरकार ने चावल उत्पादकों को वर्ष 2010 से 2014 के बीच 74 से 84.2 फीसदी सब्सिडी मुहैया करवाई थी जबकि तय मानक 10 फीसदी है।
भारत का यह कदम अन्य देशों के व्यापार को प्रभावित कर रहा है।
मालूम हो हाल ही में मोदी सरकार ने स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य डेढ़ गुना कर दिया था जो अमेरिका को रास नहीं आया।
वाशिंगटन ने इस मुद्दे को विश्व व्यापार संगठन के समक्ष उठाया था। ट्रम्प सरकार की इस हरकत से भारत और अमेरिका के बीच संबंधो में खटास आ गई थी।
अमेरिका की इन्ही व्यापार नीतियों के चलते न सिर्फ भारत ने बल्कि अमेरिका के सहयोगी देशों ने भी भोहें चढ़ा ली थी। हाल ही में हुई G -7 की बैठक में अमेरिका की अन्य देशों के साथ तनातनी देखने को मिली।
भारत चावल निर्यातकों में विश्व में सबसे अग्रणी देश हैं।
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध छिड़ा हुआ है। दोनों देश आयातित होने वाले माल पर टैक्स लगाकर एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
अमेरिका भारत पर भी उसके यह से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ कम करने के लिए दबाव बना चुका है।
वाशिंगटन ‘लेट्स मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ की नीति पर काम कर रहा है।