ज्यों ज्यों लोक सभा चुनाव नजदीक आ रहे है तमाम राजनैतिक दल अपने अपने मुद्दे देश के समक्ष रख रहे है। देश में जातिगत राजनीति का बहुत पहले से बोलबाला है। लगभग हर चुनाव में तमाम पार्टियां अपना प्रमुख वोट बैंक मज़बूत करने के लिए जाती कार्ड खेलती है। मतों का धुरवीकरण हिन्दुस्तान की राजनीति में आम बात है। दशकों पुराने मुद्दे जैसे हिन्दू मुसलमान हो या राम मंदिर जैसा ज्वलनशील मुद्दा हर चुनाव में तमाम दल इसकी पैरवी करते दिख जाते है. आगामी लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या का राम मंदिर मामला एक बार फिर से तूल पकड़ने लगा है।
उत्तर प्रदेश सरकार के डेप्युटी सीएम और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता केशव प्रसाद मौर्य ने हाल ही में इसको लेकर बड़ा ब्यान दिया. एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि, ”जब दोनों विकल्प खत्म हो जाएंगे तो तीसरा विकल्प संसद से राम मंदिर निर्माण कराने की दिशा में बढ़ेंगे। हालांकि, अभी यह मुद्दा माननीय सुप्रीम कोर्ट के पास है। आपसी सहमति समेत दोनों विकल्पों से बात न बनने पर यही रास्ता शेष रह जाएगा।’ इससे उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की आगामी चुनावो के लिए रणनीति स्पष्ट कर दी कि पार्टी इन चुनावो में भी राम मंदिर की कवायद कर जनता से वोट मांगेगी एवं अब संसद में बहुमत पर ज़ोर देगी.
अपने ब्यान में केशव प्रसाद मौर्य ने आगे कहा कि, “तुष्टीकरण की राजनीति ने राम मंदिर को लंबे समय तक रोक कर रखा। विश्व हिंदू परिषद ने जब आंदोलन किया तब जाकर ताला खुला। हम लोग सर्वोच्च न्यायालय से अपील और अपेक्षा करते हैं कि जल्द से जल्द इस मामले में निर्णय आए। हर राम भक्त की यही इच्छा है कि राम मंदिर बने। भारतीय जनता पार्टी ने इस प्रस्ताव पास करके रखा है।’ आपको बता दे कि, भाजपा के आला नेताओं ने ही राम मंदिर विवाद को जन्म दिया था जिसके तहत पार्टी के दिग्गज नेता जैसे लाल कृष्ण आडवाणी एवं उमा जोशी जैसे लोगों के खिलाफ सुनवाई भी हुई थी। अब देखना यह दिलचस्प है की आगामी चुनावो में तमाम दल किस तरीके से इस बात की प्रतिक्रिया देंगे।