बीते कुछ समय से देश में मोब लिचिंग एवं असहिष्णुता को लेकर बहुत विवाद हुआ है। आए दिन मोबलिचिंग जैसी घटनाओं से तमाम सुर्खियां छप रहीं है। झारखंड हो या उत्तर प्रदेश देश के लगभग हर राज्य में हमने माओवादियों द्वारा अराजकता एवं गुंडई का माहौल देखा। बीते कुछ समय से गौ रक्षा पर भी जम कर बवाल हो रहा है। हाल ही में ऐसी कई घटनाएं देश के सामने आईं है जिसमें गौ रक्षा के नाम पर हिंसा एवं गुंडाराज देखने को मिला है। देश ऐसी घटनाओ की कड़ी निंदा करता है परन्तु कुछ असामाजिक तत्व इसकी पैरवी करने में व्यस्त रहते है एवं इसे बढ़ावा भी देते है।
हाल ही में ऐसी ही एक घटना राजस्थान के अलवर में हुई जहाँ गौ रक्षा के नाम पर गौरक्षकों ने 20 जुलाई को रकबर खान (28) नामक एक मुसलमान शख़्स की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। जब यह वारदात घटित हुई उस वक्त रकबर दो गायों को लाढ़पुरा गांव से हरियाणा स्थित अपने घर ला रहा था। परन्तु इसी बीच कुछ गौ रक्षकों ने उसकी हत्या कर दी। इस घटना के बाद कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला ने राजस्थान सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने की मांग करी एवं सुप्रीम कोर्ट में सरकार के खिलाफ याचिका दायर कर दी. इसके बाद प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार से इस मामले में अब तक की गई कार्रवाई का विस्तृत ब्यौरा माँगा है एवं जल्द से जल्द इसको लेकर एक हलफनामा भी माँगा है.
आपको बता दे कि, थोड़े दिन पहले ही देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने मोब लिचिंग एवं गौ रक्षा के खिलाफ तमाम राज्य सरकारों को इसके खिलाफ उपयुक्त नियम एवं कानून बनाने को कहा था. देश में हो रही हिंसा को मद्यनजर रखते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था। परन्तु अभी तक इसके खिलाफ कोई ठोस कानून नहीं लाया गया है। इसी के चलते अदालत ने सोमवार को सभी अन्य राज्य सरकारों से कहा है कि वे मॉब लिंचिंग के मामलों में उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए सात सितंबर तक अनुपालन रिपोर्ट पेश करें।