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    routing information protocol in hindi, computer networks, configuration

    विषय-सूचि

    रूटिंग इनफार्मेशन प्रोटोकॉल (RIP) क्या है? (routing information protocol in hindi)

    रिसर्च करने वाले लोगों ने routing इनफार्मेशन प्रोटोकॉल यानी कि RIP को 1980 में एक छोटे-माध्यम आकर के इंटरनल नेटवर्क में प्रयोग के लिए डिजाईन किया था जो कि एकदम शुरूआती इन्टरनेट को कनेक्शन प्रदान करता था। RIP मैसेज को नेटवर्क्स के बीच अधिकतम 15 hops तक rout करने में सक्षम है।

    RIP इनेबल किये गये राऊटर सबसे पहले पड़ोस के devices के routing टेबल्स के लिए निवेदन भेजते हैं ताकि वो नेटवर्क को डिस्कोवर कर सकें।

    फिर पड़ोस के राऊटर जो कि RIP पर काम कर रहे हैं वो पूरे routing टेबल को भेज कर उस निवेदन का जवाब देते हैं।

    इसके बाद निवेदनकर्ता एक अल्गोरिथम को फॉलो कर के इन सारे अपडेट को अपने टेबल में मिला देता है।

    एक थोड़े-थोड़े निश्चित अंतराल पर RIP routers अपने पड़ोसियों को routing टेबल्स भेजते रहते हैं ताकि नेटवर्क में किसी भी बदलाव को अच्छे से प्रसार किया जाए।

    पहले के ट्रेडिशनल RIP केवल IPv4 को सपोर्ट करते थे, लेकिन अब नये वाले RIP स्टैण्डर्ड IPv6 पर भी काम करते हैं। RIP संचार के लिए यूडीपी के पोर्ट 520 से 521 (RIPng) का प्रयोग करते हैं।

    RIP की कार्यप्रणाली (working of routing information protocol in hindi)

    जैसा कि हमने बताया, Routing इनफार्मेशन प्रोटोकॉल या RIP एक डायनामिक routing प्रोटोकॉल है जो कि hop count को एक routing के माप के तौर पर प्रयोग करता है और इसीके द्वारा वो सोर्स और डेस्टिनेशन के बीच में सबसे छोटे रास्ते कि गणना कर लेता है।

    ये एक डिस्टेंस वेक्टर routing प्रोटोकॉल है जिसका AD मान 120 होता है और ये ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन मॉडल (OSI) के आप्लिकतिओन लेयर पर काम करता है। ये पोर्ट संख्या 520 पर काम करता है।

    Hop काउंट

    सीधे शब्दों में कहें तो हो काउंट का अर्थ हुआ डेस्टिनेशन और सोर्स के बीच कितने routers आ रहे हैं इस सब की संख्या। ऐसा रास्ता जिसमे hop काउंट सबसे कम हो उसे नेटवर्क तक पहुँचने का सबसे अच्छा रास्ता माना जाता है और फिर उसे routing टेबल में भी डाल दिया जाता है।

    RIP routing लूप से भी बचाता है और वो ऐसा डेस्टिनेशन और सोर्स के बीच के रास्ते में hops की संख्या को कम कर के करता है। सबसे ज्यादा hop काउंट जो RIP में हो सकते हैं वो हैं 15 और वो 16 होते ही वो नेटवर्क के पहुँच के bआहर हो जाता है।

    RIP के फीचर (features of routing information protocol in hindi)

    RIP के जो चार फ्रमुख फीचर हैं वो नीचे लिस्ट किये गये हैं:

    • नेटवर्क के सभी अपडेट को पीरियड्स के आधार पर आदान-प्रदान किया जाता है।
    • Routing की सूचना देने वाले sभी अपडेट को हमेशा ब्रॉडकास्ट किया जाता है।
    • अपडेट के अंदर पूरे के पूरे routing टेबल को भेजा जाता है।
    • कोई भी राऊटर अपने पड़ोसी राऊटर से प्राप्त हुई सूचना पर हमेशा भरोसा करता है। इसिलोये इसे routing on rumours भी कहते हैं।

    RIP के वर्जन

    इस routing प्रोटोकॉल के कुल तीन वर्जन होते हैं:

    1. RIP वर्जन 1
    2. RIP वर्जन 2, और
    3. RIPng

    नीचे दी गई तालिका की मदद से हम इन तीनो के बारे में आपको और भी अच्छे से समझा पाएंगे। इस से आपको तीनो के बीच के फर्क भी पता चल जायेंगे।

    RIP v1RIP v2RIPng
    अपडेट को ब्रॉडकास्ट के रूप में भेजता है।अपडेट को मल्टीकास्ट के रूप में भेजता है।अपडेट को मल्टीकास्ट के रूप में भेजता है।
    ब्रॉडकास्ट- 255.255.255.255मल्टीकास्ट- 224.0.0.9मल्टीकास्ट- FF02::9 (ये केवल IPv6 नेटवर्क पर काम करता है)
    अपडेट मैसेज के ऑथेंटिकेशन को सपोर्ट नहीं करता।RIPv2अपडेट मैसेजों के ऑथेंटिकेशन को सपोर्ट करता है।
    क्लासफुल routing प्रोटोकॉलक्लासलेस प्रोटोकॉल है लेकिन क्लासफुल को भी सपोर्ट करता है।क्लासलेस अपडेट भेजा जाता है।

     

    RIP का कॉन्फ़िगरेशन (routing information protocol configuration in hindi)

    नीचे दिए गये टोपोलॉजी पर ध्यान दीजिये जहां पर कुल तीन राऊटर हैं- R1, R2, और R3. R1 का IP एड्रेस है- 172.16.10.6/30 on s0/0/1, 192.168.20.1/24 on fa0/0. R2 का IP एड्रेस है- 172.16.10.2/30 on s0/0/0, 192.168.10.1/24 on fa0/0. R3 का IP एड्रेस है- 172.16.10.5/30 on s0/1, 172.16.10.1/30 on s0/0, 10.10.10.1/24 on fa0/0.

    अब हम RIP को R1 के लिए ऐसे कॉन्फ़िगर करेंगे:

    R1(config)# router rip
    R1(config-router)# network 192.168.20.0
    R1(config-router)# network 172.16.10.4
    R1(config-router)# version 2
    R1(config-router)# no auto-summary

    no auto-summary कमांड ऑटो-summerization को डिसएबल कर देता है। अगर हम ऑटो-समरी को नहीं सेलेक्ट करेंगे तो सबनेट मास्क वर्जन 1 में क्लासफुल हो जाएगा।

    अब R2 के लिए कॉन्फ़िगरेशन:

    R2(config)# router rip
    R2(config-router)# network 192.168.10.0
    R2(config-router)# network 172.16.10.0
    R2(config-router)# version 2
    R2(config-router)# no auto-summary

    इसी तरह R3 के लिए भी करेंगे:

    R3(config)# router rip
    R3(config-router)# network 10.10.10.0
    R3(config-router)# network 172.16.10.4
    R3(config-router)# network 172.16.10.0
    R3(config-router)# version 2
    R3(config-router)# no auto-summary

    RIP के Timers

    • Update timer : ये routers द्वारा आदान-प्रदान हो रहे routing सम्बन्धी सूचनाओं के लिए एक डिफ़ॉल्ट टाइमर होता है जिसका ऑपरेटिंग RIP 30 सेकंड्स होता है। इस अपडेट टाइमर की मदद से सभी राऊटर पीरियड्स के आधार पर अपने-अपने routing टेबल को एक्सचेंज करते हैं।
    • Invalid timer: अगर 180 सेकंड्स तक कोई भी अपडेट नहीं आया तो डेस्टिनेशन राऊटर इसे इनवैलिड करार देता है। इस स्थिति में, डेस्टिनेशन राऊटर एक 16 hop count उस राऊटर के लिए मार्क कर देता है।
    • Hold down timer : ये वो टाइमर है जिसमे कोई भी राऊटर अपने पड़ोस के राऊटर के जवाब का इन्तजार करता है। अगर दिए गये समय में पड़ोस का राऊटर रेस्पोंद करने में नाकाम साबित होता है तो इसे मरा हुआ घोषित कर दिया जाता है। ये डिफ़ॉल्ट के राउर पर 180 सेकंड्स होता है।
    • Flush time : ये वो टाइमर है जिसके बाद रूट की एंट्री हटा दी जाएगी अगर वो सही समय में जवाब नहीं देता है तो। ये 60 सेकंड्स का डिफ़ॉल्ट होता है। ये टाइमर तब शुरू होता है जब रूट को इनवैलिड घोषित कर दिया गया हो।

    एक बात आपको जाननी जरूरी है कि ये सारे के सारे टाइम एडजस्ट किये जा सकते हैं और उसके लिए आपको निम्लिखित कमांड का प्रयोग करना पड़ेगा:

    R1(config-router)#  timers basic
    R1(config-router)#  timers basic 20   80    80    90

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    By अनुपम कुमार सिंह

    बीआईटी मेसरा, रांची से कंप्यूटर साइंस और टेक्लॉनजी में स्नातक। गाँधी कि कर्मभूमि चम्पारण से हूँ। समसामयिकी पर कड़ी नजर और इतिहास से ख़ास लगाव। भारत के राजनितिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक इतिहास में दिलचस्पी ।

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