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    कांग्रेस प्रधानमंत्री

    लोक सभा चुनाव में अब साल भर से भी काम समय बचा है। पांच साल राज करने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार के लिए भी आगामी चुनाव किसी इम्तिहान से काम नहीं होंगे।

    यह देखना दिलचस्प होता है की क्या देश में अभी भी 2014 वाली मोदी लहर कायम है या सत्ता विरोधी लहर चल गई है।

    2014 में भारतीय जनता पार्टी ने लगभग कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ कर एक पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई। उस वक्त लगा की देश में एक नया दौर आएगा।

    इसके बाद भी भारतीय जनता पार्टी ने अपना जनाधार बढ़ाते हुए भारत के विभिन्न हिस्सों में सरकार बनाई और कांग्रेस महज़ 3-4 राज्यों में ही सरकार बना पाई।

    परन्तु साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराने के लिए कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने कमर कस ली है।

    हाल ही में कांग्रेस ने देश के लगभग गैर भाजपा दलों से संपर्क कर एक मज़बूत महागठबंधन की नींव रखी है जिसके तहत आगामी चुनावो में उसका मुकाबला बस एनडीए गठबंधन से होगा।

    परन्तु पिछले दिनों इस महागठबंधन की बागडोर को लेकर काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला एवं तमाम दलों में प्रधान मंत्री के उम्मीदवार को लेकर खींचतान भी दिखी।

    गौरतलब है कि इससे पार पाने एवं लोकसभा चुनाव जीतने और सरकार बनाने के लिए कांग्रेस ने दो चरणों में अपना फॉर्मूला तैयार किया है।

    पहला यह की कांग्रेस तमाम दलों से सलाह मशवरा कर महागठबंधन के तहत भाजपा का मुकाबला करेगी और दूसरे चरण में चुनाव के बाद प्रधानमंत्री उम्मीदवार पर फैसला लिया जाएगा यानी महागठबंधन का पीएम कौन होगा, यह चुनाव नतीजे आने के बाद ही तय होगा।

    कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में कहा कि, ” मोदी अगली बार पीएम तभी बनेंगे, जब 230 से 240 सीटों पर जीत दर्ज करेंगे, लेकिन मुझे भरोसा है कि अगर गठबंधन सटीक बैठता है, तो यूपी, बिहार और महाराष्ट्र में हमें ज्यादा सीटें मिलेंगी। वहीं, मोदी को गठबंधन के सहयोगी प्रधानमंत्री नहीं बनने देंगे और बीजेपी को सत्ता गंवानी पड़ेगी।”

    इससे कांग्रेस ने अपनी मंशा साफ़ कर दी है की आगामी चुनावो में वह भाजपा को हराने के लिए कुछ भी कर सकती है।

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