विषय-सूचि
मैक एड्रेस: परिचय (what is mac address in hindi)
एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में संचार स्थापित करने और फिर डाटा को ट्रांसमिट करने के लिए उन devices को एक अलग-अलग और यूनिक पते कि जरूरत होती है जिसकी कमी MAC एड्रेस पूरी करता है।
कंप्यूटर नेटवर्क में विभिन्नप्रकार के पते होते हैं जिसका प्रयोग अलग-अलग लेयर पर किया जाता है। मीडिया एक्सेस कण्ट्रोल एक्सेस एक फिजिकल एक्सेस है जो कि डाटा लिंक लेयर पर काम करता है।
यहाँ हम डाटा लिंक लेयर के अंदर के पते कि ही बात करेंगे जिसे मैक एड्रेस कहते हैं।
मैक एड्रेस के प्रयोग (use of mac address in hindi)
मैक एड्रेस किसी भी कंप्यूटर को दिया गया 48 बिट का एक यूनिक हार्डवेयर पता है जिसे कंप्यूटर को बनाते समय ही उसके नेटवर्क कार्ड में स्थापिय्त कर दिया जाता है।
नेटवर्क कार्ड को नेटवर्क इंटरफ़ेस कार्ड भी कहा जाता है। मैक एड्रेस को किसी भी डिवाइस का फिजिकल एड्रेस भी कहा जाता है।
वैसे तो बड़े स्टार पर मैक एड्रेस के बहुत सारे प्रयोग हैं लेकिन सरल शब्दों में इसके कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं:
- मान लीजिये कि अगर आपका लैपटॉप या कंप्यूटर कही पर खो जाता है, या चोरी हो जाता है तो ऐसे में आप MAC के द्वारा बहुत आसानी से अपने खोये हुए कंप्यूटर को ट्रैक कर सकते है।
- अगर आपके पास राऊटर है और किसीको आपके राऊटर का पासवर्ड पता है, ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि कोई अपने फ़ोन या लैपटॉप से आपके राऊटर से कनेक्ट ना कर पाए तो ऐसे में आप अपने राऊटर में मैक एड्रेस फिल्टर को ON करके उस फ़ोन या लैपटॉप को हमेशा के लिए ब्लाक कर सकते है।
- जब आप किसी ISPs का प्रयोग करते है, तो ऐसे में जब आप इन्टरनेट बिल नहीं पे करते है तो वह ISPs (इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर) आपके मैक एड्रेस को ब्लॉक कर देते है, जिससे आप उनके इन्टरनेट को एक्सेस नही कर पाते हैं।
- कोई भी इलेक्ट्रॉनिक या फिर नेटवर्किंग डिवाइस एक दुसरे से मैक एड्रेस को द्वारा ही जुड़े होते है और एक दुसरे से संचार भी स्थापित करते है।
- लॉजिकल लिंक कण्ट्रोल सब-लेयर (LLC), और
- मीडिया एक्सेस कण्ट्रोल सब-लेयर (MAC)
चूंकि पूरी दुनिया में हजारों नेटवर्क और लाखों डिवाइस काम कर रहे हैं, इसीलिए ये जरूरी होता है कि हर डिवाइस का मैक एड्रेस यूनिक हो।
मैक एड्रेस का फॉर्मेट (mac address format in hindi)
मैक एड्रेस बारह अंकों का एक हेक्सा-डेसीमल संख्या होता है जो कि बाइनरी में छः अंकों का होता है जिसे कोलन हेक्सा-देसिनाम नोटेशन द्वारा दिखाया जाता है।
इसका पहला छः अंक (उदाहरण के तौर पर 00:40:96) ये बताता है कि इस डिवाइस को बनाने वाली कम्पनी कौन सी है। इसे आर्गेनाईजेशनल यूनिक आइडेंटिफायर (OUI) भी बोलते हैं क्योंकि ये डिवाइस को बनाने वाली कम्पनी की पहचान बताता है।
IEEE नामक नियामक संस्था इस ख़ास नम्बर को सभी कम्पनियों को मुहैया कराती है। आइये देखते हैं कुछ ख़ास कम्पनियों के OUI प्रेफीक्स कैसे दिए गये हैं और क्या हैं:
CC:46:D6 - Cisco 3C:5A:B4 - Google, Inc. 3C:D9:2B - Hewlett Packard 00:9A:CD - HUAWEI TECHNOLOGIES CO.,LT
बांकी दाहिने के छः अंक (नेटवर्क इंटरफ़ेस कंट्रोलर या एनआईसी) डिवाइस को बनाने वाली कम्पनी तय करती है जो अपने हर एक डिवाइस को अलग अलग NIC देती है। कोलन के लावे मैक एड्रेस को ऐसे भी दिखाया जा सकता है:
किसी भी डिवाइस का मैक एड्रेस कैसे पता करें? (how to find mac address of any device in hindi)
किसी भी डिवाइस में अब आप समझ गये हैं कि मैक एड्रेस कैसे बनाया जाता है। अब हम आपको बताते हैं कि किसी डिवाइस का मैक एड्रेस को कैसे पता करें।
UNIX/Linux के लिए कमांड - ifconfig -a ip link list ip address show विंडोज OS के लिए कमांड - ipconfig /all MacOS - TCP/IP Control Panel
नोट- LAN तकनीक जैसे कि टोकन रिंग और इंटरनेट मैक एड्रेस को अपने फिजिकल एड्रेस की तरह प्रयोग करते हैं लेकिन AppleTak जैसे कुछ ऐसे नेटवर्क भी हैं जो मैक एड्रेस का प्रयोग ही नही करते।
मैक एड्रेस के प्रकार (types of mac address in hindi)
अब हम तीनो प्राकार के मैक एड्रेस कि एक-एक कर चर्चा करेंगे और उनके बारे में अछे से जानेंगे।
1. यूनीकास्ट मैक एड्रेस (unicast mac address in hindi)
unicast मैक एड्रेस फ्रेम को केवल वैसे इंटरफ़ेस में भेजा जाता है जिनकी NIC स्पेसिफिक हो।
मल्टीकास्ट मैक एड्रेस (multicast mac address in hindi)
मल्टीकास्ट मैक एड्रेस किसी भी सोर्स को ये क्षमता प्रदान करता है कि वो फ्रेम को devices के समूह को भेज सके। ईथरनेट मल्टीकास्ट एड्रेस के दूसरे लेयर में पहले ओक्टेट के लीस्ट significant बिट को 1 सेट किया जाता है।
ब्रॉडकास्ट मैक एड्रेस (broadcast mac address in hindi)
नेटवर्क लेयर के अलावे ब्रॉडकास्ट नीचे वाले लेयर (जैसे कि डाटा लिंक लेयर) पर भी संभव है। ऐसे ईथरनेट फ्रेम जिनके डेस्टिनेशन एड्रेस के सभी बिट 1 हों (FF-FF-FF-FF-FF-FF), उन्हें ब्रॉडकास्ट एड्रेस कहा जाता है।
मैक क्लोनिंग क्या है? (what is mac cloning in hindi)
कुछ इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर गेटवे डिवाइस को IP एड्रेस देने के लिए मैक एड्रेस का प्रयोग करते हैं। जब डिवाइस ISP के साथ कनेक्ट होता है तब DHCP सर्वर मैक एड्रेस को रिकॉर्ड कर लेता है और IP एड्रेस असाइन कर देता है। अब उस सिस्टम को मैक एड्रेस के द्वारा ही पहचाना जाता है।
अगर डिवाइस किसी वजह से डिसकनेक्ट हो गया तो इसके साथ ही वो अपना IP एड्रेस भी खो देता है। अगर यूजर फिर से कनेक्ट होना चाहे तो DHCP सर्वर ये जाँच करता है कि वो डिवाइस एफ्ले कनेक्ट था या नही और सर्वर समान IP एड्रेस ही असाइन करने कि कोशिश करता है (अगर समय-सीमा expire ना हुई हो)।
अगर यूजर ने राऊटर को ही बदल दिया तो उसे ISP को इसके बारे में बताना जरूरी है क्योंकि सर्वर इस नये डिवाइस के मैक एड्रेस से अनजान है और इसीलिए कनेक्शन नही स्थापित होगा।
इअका दूसरा विलप है Cloning. इसमें यूजर सीधा ISP को रजिस्टर किया हुआ मैक एड्रेस क्लोन कर देता है। अब राऊटर पुराना मैक एड्रेस ही ISP को भेजेगा और कनेक्शन स्थापित करने में भी कोई दिक्कत नही आयेगी।
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