राजस्थान में विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होनें हैं। इन चुनावों को 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले एक सेमिफाइनल माना जा रहा है। कहा जा रहा है, कि जो पार्टी ये चुनाव जीतेगी, 2019 में उसी के जीतने के आसार बढ़ जायेंगे।
राजस्थान चुनाव को लेकर दोनों बड़ी पार्टियों, बीजेपी और कांग्रेस, नें तैयारियां शुरू कर दी है। बीजेपी नें काफी बातचीत के बाद वसुंधरा राजे के नाम पर सहमति बरक़रार रखी है, वहीँ कांग्रेस नें अभी तक फैसला नहीं किया है।
कांग्रेस के पास मुख्यमंत्री पद के लिए दो मजबूत दावेदार हैं। पहले हैं, राजस्थान में कांग्रेस पार्ट के अध्यक्ष सचिन पायलट और दुसरे हैं, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ट नेता अशोक गहलोत।
आने वाले चुनावों को लेकर दोनों ही नेताओं के नाम पर पार्टी विचार कर रही है। लेकिन देखना यह होगा कि दोनों में से किसे पार्टी जिम्मा सोंपती है।
सचिन पायलट का पलड़ा भारी
2014 में राजस्थान में बुरी तरह से हारने के बाद कांग्रेस पार्टी नें प्रदेश में पार्टी की कमान सचिन पायलट को सोंपी थी। सचिन पायलट उस समय भी पार्टी के जिम्मेदार नेता थे, लेकिन प्रदेश पार्टी अध्यक्ष पद उनके लिए चुनौतीपूर्ण था।
पिछले 4 सालों में सचिन पायलट नें प्रदेश में काफी मेहनत की है, और इसका असर हाल ही में हुए उपचुनावों में साफ़ देखने को मिला, जहाँ कांग्रेस नें भारी जीत हासिल की है।
कांग्रेस की इस जीत का श्रेय पूरी तरह से सचिन पायलट के नेत्रत्व को दिया गया। इन परिणामों के बाद यह साफ़ हो गया था कि आने वाले चुनावों में भी कांग्रेस का भरोसा सचिन पायलट ही होंगें।
लेकिन पिछले कुछ समय में गहलोत के समर्थकों नें सचिन पायलट के नाम पर काफी सवाल उठाएं हैं। इन सबसे बावजूद भी सचिन पायलट का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।
इसके पीछे सबसे बड़ा कारण तो यह है कि पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष राहुल गाँधी पायलट के काफी करीबी हैं, और पायलट से काफी प्रभावित भी हैं।
ऐसा कहा जाता है, कि राजस्थान चुनावों में भी ध्यान में रखकर अशोक गहलोत को राष्ट्रिय स्तर के लिए तैयार किया जा रहा है, जिससे सचिन के लिए मैदान साफ़ हो सके।
सचिन यह बात अच्छी तरह समझते हैं, और उन्होनें प्रदेश में अपना दबदबा बनाने के लिए हरसंभव कोशिशें शुरू कर दी है।
हाल ही में सचिन नें जयपुर में विशाल रैली में हिस्सा लिया था, जहाँ के जमावड़े को देखकर ऐसा लग रहा है कि पार्टी नें अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार चुन लिया है।
अशोक गहलोत के पास भी है भारी समर्थन
सचिन पायलट का प्रदेश में दबदबा जरूर बढ़ रहा है, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि अशोक गहलोत को भी यहाँ भारी समर्थन हासिल है।
अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और प्रदेश के कई इलाके आज भी सिर्फ गहलोत के नाम पर वोट देने को राजी हैं।
उदाहरण के तौर पर, प्रदेश की माली जाती गहलोत के नाम को आगे करने की कोशिश कर रही है। ऐसा माना जाता है कि माली पूरी तरह से गहलोत के पक्ष में हैं।
इस बात की जानकारी बीजेपी को भी है। इसी कारण से हाल ही में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह नें बीजेपी राजस्थान अध्यक्ष पद के लिए मदनलाल सैनी को चुना है, जो खुद इसी जाती से आते हैं और काफी प्रभावी नेता भी हैं।
अमित शाह नें ऐसा इसीलिए किया है, ताकि प्रदेश में माली वोटों को बांटा जा सके।
कांग्रेस पार्टी के हाथ में फैसला
राजस्थान में पार्टी का मुख्यमंत्री उम्मीदवार कौन बनता है, इसका फैसला अब पूरी तरह से कांग्रेस के उच्च-स्तर के नेताओं के हाथ में है।
पार्टी के अध्यक्ष राहुल गाँधी, पूर्व-अध्यक्ष सोनिया गाँधी एवं अन्य वरिष्ट मंत्री इस बात पर फैसला लेंगें।
इसके बावजूद भी वर्तमान आसारों को देखकर ऐसा लग रहा है कि फैसला सचिन पायलट के पक्ष में ही आने वाला है।
मुख्यमंत्री तो गहलोत जी ही बनेंगे. वोट उन्ही के नाम पर मिलेगा. पायलट साहब को अभी सीखना चाहिए.