भारतीय जनता पार्टी आज कल अपने साथियों की वजह से झूझती नज़र आ रही है। बिहार में नितीश और कुशवाहा और महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे। हर जगह से पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है।
गठबंधन में सीटों को लेकर खींचतान हो या आपसी मतभेद भाजपा हर तरफ से परेशान चल रही है। भाजपा के साथ शिवसेना का गठबंधन काफी पुराना हैं। बीच में थोड़ी उथल-पुथल के बाद 2014 में दोनों ने दोबारा गठबंधन धर्म का पालन किया। परंतु अब दोनों गुटों से बगावत के सुर उठ रहे हैं।
अमित शाह इन दिनों आने वाले चुनावो के लहज़े से प्रदेश दर प्रदेश पार्टी मीटिंग एवं जन सम्मलेन को संबोधित कर रहे है। हाल ही में ऐसी ही एक मीटिंग में उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कह दिया कि आने वाला चुनाव भाजपा अपने दम पर लड़ेगी।
पार्टी के मुखपत्र सामना को दिए एक साक्षात्कार में उद्धव ठाकरे ने भाजपा को खूब खरी-खोटी सुनाई है। शिव सेना ने भी भाजपा को अपने रुख साफ़ कर दिए हैं। बता दे कि, शुक्रवार हुए अविश्वास प्रस्ताव से पहले शिव सेना ने साफ़ कर दिया था की वो इसका बहिष्कार करेगी एवं इसमें सम्मिलित नहीं होगी। इसी से भाजपा उससे काफी खफा चल रही हैं।
अपने ब्यान में शिव सेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि ‘वाह-वाह करने वालों और चाटुकारिता करने वालों को मैं दोस्त नहीं मानता। हम भले ही सरकार के साथ गठबंधन में हैं, लेकिन देश की जनता के लिए अगर सरकार द्वारा कुछ गलत कदम उठाया जाएगा तो हम पूरी ताकत के साथ उसका विरोध करेंगे।’
इसके बाद प्रधान मंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि “आज के समय में गायों की रक्षा की जा रही है जबकि महिलाएं असुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि मैं नरेंद्र मोदी के सपनों के लिए नहीं, आम आदमी के सपनों के लिए लड़ रहा हूं।”
अब देखना यह दिलचस्प होगा की भाजपा और शिव सेना का यह गठबंधन कब तक चल पाता है। क्योंकि अभी जिस तरीके के हालात बन रहे है उससे ये तो प्रतीत हो गया कि दोनों के रिश्तों में खासी दरार आ गई है।