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    एयरप्लेन मोड airplane mode in hindi

    विषय-सूचि

    एयरप्लेन मोड की परिभाषा (definition of air-plane mode in hindi)

    परिभाषा – एयरप्लेन मोड आपके उपकरण में जिस भी तरह के वायरलेस ट्रान्शमिशन होते हैं जैसे की वाईफाई, ब्लुटूथ, रेडियो, कॉल आदि सबको बंद कर देता है।

    पर आज कल काफी उड़ानों में उड़ान के अंदर वाईफाई आदि की सुविधा उपलब्ध है तो आइये जानते हैं की इस वजह से जो आपके उपकरणों में एयरप्लेन मोड़ होता है उसपर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।

    एयरप्लेन मोड क्या करता है (work of air-plane mode in hindi)

    आपके कोई भी उपकरण में जैसे की आईफोन, आइपैड, स्मार्ट फोन, विंडोज टैब्लेट आदि मैं एयरप्लेन मोड हार्डवेयर मे हो रहे काम को रोक देता है। जैसे की –

    • सेल्यूलर – आपका जो भी उपकरण है वह टावर से संपर्क बंद कर देगा। आप किसी भी तरह का काम नहीं कर पाएंगे जैसे की फोन करना, सेलुलर डाटा चलाना, मैसेज भेजना आदि।
    • वाईफाई – आपका फोन आस पास के वाईफाई सिग्नल को नहीं पकड़ पाएगा। यदि आप किसी भी वाईफाई नेटवर्क से जुड़े हुए हैं तो यह उसी वक़्त उससे हट जाएगा।
    • ब्लुटूथ – एयरप्लेन मोड ब्लुटूथ कनैक्शन को भी आपके उपकरण से बंद कर देगा। ब्लुटूथ ज़्यादातर फ़ाइल भेजने और लेने के काम में आता है।
    • जीपीएस – एयरप्लेन मोड आपके जीपीएस कनैक्शन को भी बंद कर देगा पर ऐसा कुछ ही उपकरणों में होता है। जीपीएस केवल सिग्नलों को लेने के काम में आता है इससे किसी भी प्रकार का सिग्नल भेजा नहीं जाता।

    आप उड़ान में केवल टेक ऑफ और लैंडिंग के वक़्त ही अपना उपकरण बिना एयरप्लेन मोड के इस्तेमाल कर सकते हैं।

    एयरप्लेन मोड क्यूँ जरूरी है? (uses of airplane mode in hindi)

    कुछ देशों में उड़ानों में उन उपकरणों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है जिनमे सिग्नल लिए और भेजे जाते हैं। इस तरह के उपकरण बार बार टावर और अन्य उपकरणों से सिग्नलों को लेते हैं।

    इस तरह के सिग्नल उड़ान की गतिविधिओं और सेन्सरों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस तरह की मुसीबतों को ध्यान में रखते हुए ही इस तरह के नियम बनाए गए हैं।

    एयरप्लेन मोड़ से फोन की बैटरी कम खर्च होती है

    आप यदि जमीन पर हैं तब भी आप अपने उपकरण की बैटरी को बचा सकते हैं। आपके उपकरण में रेडियो बहुत सारी ऊर्जा को ले लेता है, आपके टावर से सिग्नल लेना, वाईफाई नेटवर्क को ढूँढने आदि में काफी ऊर्जा बेकार जाती है।

    इससे बचने के लिए हम कभी कभी अपने उपकरण में एयरप्लेन मोड चालू कर सकते हैं जिससे की बैटरी को बचाया जा सके। पर हाँ यह ध्यान रखें की इस एयरप्लेन मोड को चालू करते ही आपके आने वाले सारे कॉल बंद हो जाएंगे और मैसेज भी बंद हो जाएंगे।

    आजकल कुछ उड़ानों में एयरप्लेन मोड में आप वाईफाई चला सकते हैं कुछ उड़ानों में तो वाईफाई की सुविधा भी होती है। कुछ उपकरणों में यह सुविधा है इसमे आपको पहले अपना उपकरण एयरप्लेन मोड में करना होगा उसके बाद आप केवल वाईफाई को चालू करें इस तरीके से आप उड़ान में वाईफाई का इस्तेमाल कर सकते हैं। रेडियो सिग्नल, कॉल, सेल्यूलर नेटवर्क आदि आपको बंद ही रखने होते हैं केवल वाईफाई के लिए यह सुविधा दी गयी है।

    हालांकि कुछ उड़ानों में ब्लुटूथ भी आप इस्तेमाल कर सकते हैं पर यह सब आपको उस कंपनी की ऐयरलाइन द्वारा बता दिया जाएगा।

    हवाई जहाज में वाई-फाई इंटरनेट

    अमेरिका की एफ़सीसी का बोलना है की जो भी उड़ाने 10,000 फीट से ऊपर उड़ती हैं उनमे सेल्यूलर सिग्नल दे दिया जाये इसके लिए कुछ नियमों को बदलने के भी प्रयास चल रहे हैं। हालांकि इसपर काफी विचार विमर्श के बाद यह प्रस्ताव रखा गया की आप कॉल नहीं कर सकते केवल सेल्यूलर डाटा की मदद से मैसेज भेज सकते हैं।

    इसके लिए उड़ानों में कुछ पिको सेल लगाए जाएंगे जो की सेल्यूलर डाटा को चलाने के लिए एक तरह से टावर का काम करेंगे। इसका कनैक्शन सैटिलाइट से होगा और यह उड़ान के सिग्नलों को नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे।

    पिको सेल उड़ानों में लग जाने के बाद भी आपके उपकरण में एयरप्लेन मोड जरूरी होगा क्योंकि केवल 10,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई वाली उड़ानों में यह संभव होगा बाकी टेक ऑफ और लैंडिंग में तो आपको अपना फोन एयरप्लेन मोड में ही रखना पड़ेगा।

    इसलिए कुछ भी हो जाए आपके उपकरणों में एयरप्लेन मोड काफी जरूरी है और रहेगा।

    इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई सवाल या सुझाव है, तो उसे आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

    2 thoughts on “एयरप्लेन मोड क्या होता है? परिभाषा, जानकारी”
      1. haa, jab bhi plane me travel kar rahe hai toh aapko apne phone ka flight mode on kar denaa chahiye…kyuki jab flight apnaa udaan bharta hai to usme kisi tarah kaa signal problem naa aaye,,,isliye phone ko hamesha udaan ke time flight mode on rakhna chahiye.

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