विषय-सूचि
डीप लर्निंग का मतलब (deep learning meaning in hindi)
डीप लर्निंग (deep learning) मशीन लर्निंग का ही उप क्षेत्र और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का एक पहलु है। इसको और आसानी से समझने के लिए यूँ समझिये की ये सीखने के दृष्टिकोण को अनुकरण करने के लिए होता है जैसे कि मनुष्य कुछ प्रकार के ज्ञान प्राप्त करने के लिए उपयोग करते हैं।
मशीन लर्निंग से ये कुछ अलग है, अक्सर लोग इसमें और मशीन लर्निंग में कन्फूज हो जाते हैं। डीप लर्निंग एक अनुक्रमित एल्गोरिथम का इस्तेमाल करता है वहीँ मशीन लर्निंग लीनियर अल्गोरिथम का इस्तेमाल करती है।
इसको और सटीकता से समझने के लिए इस उदहारण को समझिये की एक बच्चे की पेहचान फूल से कराई जाये तो वो बार बार पूछेंगा क्या ये फूल है? उसके लिए हर रंग बिरंगी चीज़ फूल ही होगी ,वह धीरे धीरे चीज़ों को फूलों के अनुसार अनुक्रमित करेगा और धीरे धीरे उसे फूल का पता चल जायेगा। ये समय के साथ विकसित होता है।
डीप लर्निंग काम कैसे करता है? (working of deep learning in hindi)
डीप लर्निंग प्रत्येक एल्गोरिदम अपने इनपुट में एक नॉन लीनियर परिवर्तन लागू करता है और जो ये इनपुट से सीखता है उससे एक सांख्यिकीय मॉडल के रूप में परिवर्तित कर देता है। और ये अपना प्रयास तब तक जारी रखता है जब तक सटीक अउटपुट न मिल जाये।
जबकि पारंपरिक मशीन लर्निंग में, सीखने की प्रक्रिया की निगरानी की जाती है और प्रोग्रामर को यह बताते समय प्रोग्रामर को बहुत विशिष्ट होना चाहिए कि निर्णय लेने के दौरान किस प्रकार की चीजें तलाशी जानी चाहिए।
यह फीचर निष्कर्षण नामक एक श्रमिक प्रक्रिया है और कंप्यूटर की सफलता दर पूरी तरह से एक सुविधा को परिभाषित करने के लिए प्रोग्रामर की क्षमता पर निर्भर करती है।
डीप लर्निंग का लाभ यह है कि कार्यक्रम पर्यवेक्षण के बिना स्वयं द्वारा निर्धारित सुविधा बनाता है। अप्रशिक्षित शिक्षा न केवल तेज है, बल्कि यह आमतौर पर अधिक सटीक होती है।
उदहारण के रूप में मान लीजिये की आप कंप्यूटर को एक फूल की आकृति से परिचित कराते हैं पर वह फूल को उसकी पंखुड़ियों या डिज़ाइन से नहीं बल्कि पिक्सेल से पैटर्न बनाता है जिसकी सहयता से ही वह फूल को समझ पता है।
डीप न्यूरल नेटवर्किंग क्या है? (what is deep neural networking in hindi)
डीप लर्निंग के सोचने का तरीका बिलकुल इंसानो के न्यूरॉन जैसा है इसलिए इसे अक्सर डीप न्यूरल लर्निंग और डीप न्यूरल नेटवर्किंग भी कहा जाता है।
एक छोटे बच्चे को फूल को फूल मानने में शयद कुछ दिनों का वक्त लग जाये मगर डीप न्यूरल नेटवर्किंग लाखों तस्वीरों में से फूल की तस्वीर कुछ ही मिनटों में पहचान सकता है।
ऐसा कर पाने के लिए सटीकता के स्वीकार्य स्तर को प्राप्त करन होता है जिसके लिए, गहरे शिक्षण कार्यक्रमों को प्रशिक्षण डेटा और प्रसंस्करण शक्ति की अत्यधिक मात्रा तक पहुंच की आवश्यकता होती है। पहले ये इतना आसान नहीं था मगर क्लाउड कंप्यूटिंग और बड़े डेटा बेस की सदी में ये आसानी से हो जाता है।
डीप न्यूरल नेटवर्किंग के माध्यम से असंरचित (unstructured) डेटा भी काफी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। वैसे ज्यादातर जुटाए गए आंकड़े असंरचित ही होते हैं।
डीप लर्निंग के उपयोग (uses of deep learning in hindi)
डीप लर्निंग आज के समय में काफी तेज़ी से इस्तेमाल किया जा रहा है, लगभग हर बड़ी कंपनी इसका उपयोग कर रही है, या करना चाहती है।
इसके हाल ही के कुछ बड़े उपयोग फ़ोन की बड़ी कंपनियों ने किया है जिसमे ये चीज़े शामिल हैं।
Image Recognition– इसका अर्थ होता है किसी तस्वीर को पहचानना, ये अक्सर मोबाइल फ़ोन्स में आसनी से देखी जा सकती है।
Speech Recognition – इसका काम लोगों की अवाज़ को पहचानना होता है।
Translator – इसका काम एक भाषा को किसी अन्य भाषा में परिवर्तित करना होता है। डीप लर्निंग के और कई उदाहरण भी देखे जा सकते हैं।
डीप लर्निंग की सीमा (limits of deep learning in hindi)
डीप लर्निंग की सबसे बड़ी सीमा यह है की यह सिर्फ अवलोकन (ऑब्जरवेशन) से सीखता है। इसका अर्थ यह है की इसको जो डेटा दिया जाये ये सिर्फ उतना ही जानता है।
अगर किसी के पास ज्यादा मात्रा में डेटा उपलब्ध नहीं है तो ये उस हाल में काम नहीं करेगा। अगर डेटा को पक्षपात करके जुटाया गया हो तो जो परिणाम मिलेगा वो भी किसी एक की तरफ ज्यादा झुका हुआ होगा। यानि इसे आप जो भी देंगे उसी से ये सीखेगा और आपको परिणाम देगा।
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नमस्कार सुधांशु, आप यहाँ से डीप लर्निंग सीख सकते हैं – https://www.coursera.org/specializations/deep-learning