जैसे जैसे आधुनिक कम्प्यूटरों की ताकत बढ़ रही है और हम अपने दिमाग की कुशलता को और गहराई से समझ रहे हैं, वैसे ही हम काल्पनिक विज्ञान (science fiction) के कई बातों को सच कर रहे हैं। ब्रेन कंप्यूटर इंटरफ़ेस (brain computer interface in hindi) इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस विषय के ऊपर 70 के दशक से शोध (research) चालू है।
इसमें वर्धित (enhanced) या तार से जुड़े हुए दिमाग (wired brain) और किसी बाहरी उपकरण (external device) के बीच सीधा संचार मार्ग (communication path) बैठाया जाता है। यह विषय आजकल के समय का सबसे चर्चित विषय है। इनपर काफ़ी शोध-कार्य और मानचित्रण (mapping) चालू है।
इस विषय में जो अनुसन्धान (research) और विकास (development) चालू है, वह न्यूरोप्रोस्थैतिक अनुप्रयोगों (application) पर आधारित है जिनका उद्देश्य बहरेपन, नेत्रहीनता एवं दूसरे मानव संज्ञानात्मक (human cognitive) और संवेदी मोटर कार्यों (sensory motor function) पर केंद्रित है।
दिमाग के असाधारण प्लास्टिसिटी प्रयोग के कारण, शरीर से मेल खाने के बाद प्रत्यारोपित कृत्रिम अंगों (implanted prosthesis) से आते हुए सिग्नल दिमाग के द्वारा नियंत्रित हो सकते हैं। इस क्षेत्र में हो रहा यह विकास सदी के महत्वपूर्ण तकनिकी उपलब्धियों में से एक है जो दिव्यांग लोगों के लिए काफ़ी उपयोगी साबित हो रहा है।
विषय-सूचि
ब्रेन कंप्यूटर इंटरफ़ेस कैसे काम करता है? (what is brain computer interface in hindi)
ब्रेन कंप्यूटर इंटरफ़ेस प्रणाली हमारे दिमाग के कार्य करने की क्षमता पर निर्भर करता है। हमारा दिमाग बहुत सारे न्यूरॉन से भरा हुआ है, नस की कोशिकाएं डेन्ड्राइट और एक्सोन के द्वारा एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
दिमाग और कंप्यूटर में इंटरफ़ेस यानी तालमेल बैठाने के लिए एक इलक्ट्रोड की आवश्यकता होती है। एक प्रकार का उपकरण इलेक्ट्रोएन्सफैलोग्राफ खोपड़ी पर संलग्न कर दी जाती है। इलेक्ट्रोड दिमाग के सिग्नल को समझ पाते हैं। उच्च संकल्प का सिग्नल पाने के लिए वैज्ञानिक इलेक्ट्रोड को दिमाग के अंदरूनी हिस्से में या खोपड़ी के नीचे लगा देते हैं। इससे विद्युत् सिग्नल का सीधा प्रतिग्रह होता है और जहाँ सिग्नल जागृत हो रहा है, उस जगह पर इलेक्ट्रोड लगा दिया जाता है।
इलेक्ट्रोड न्यूरॉन के बीच हो रहे वोल्टेज अंतर को मापित करता रहता है। सिग्नल फिर प्रवर्धित और फ़िल्टर होता है और फिर एक कंप्यूटर प्रोग्राम के द्वारा जांचा जाता है। BCI प्रक्रिया के संवेदी (sensory) इनपुट मामले में कंप्यूटर न्यूरॉन को सक्रिय करने के लिए सिग्नल को पहले वोल्टेज में बदलता है, फिर सिग्नल को दिमाग के जरुरत वाले भाग में प्रत्यारोपित (implant) होने क लिए भेज दिया जाता है। फिर न्यूरॉन तेजी से काम करना शुरू करना शुरू करता है, फिर वह छवि उपयोगकर्ता को मिलता है।
दिमाग के गतिविधि को मापने का दूसरा तरीका मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेज या MRI है। इस मशीन के द्वारा दिमाग की गतिविधियों की उच्च गुणवत्ता वाली छवि निकाली जाती है, जिस आधार पर वैज्ञानिक यह निर्णय लेते हैं कि किसी कार्य को मापित करने के लिए इलेक्ट्रोड को कहाँ प्रत्यारोपित करना है ।
BCI तकनिकी के द्वारा ऐसे उपकरणों का विकास किया जा रहा है जो कि हमारे सोच से नियंत्रित हो सके। वे मशीनें जिनकी वजह से गंभीर रूप से दिव्यांग लोग भी स्वतंत्रतापूर्वक काम कर सकें – इन पर भी तेजी से काम चालू है।
ब्रेन कंप्यूटर इंटरफ़ेस के प्रयोग (application of brain computer interface in hindi)
- ऐसी तकनिकी पर काम चल रहा है जोकि दिव्यांग लोगों की वाक् शक्ति बहाल करने का काम करेगी। दिमाग का जो भाग वाक् शक्ति नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार है, वहां पहले इलेक्ट्रोड प्रत्यारोपित किया जायेगा, जो फिर कंप्यूटर को सिग्नल भेजेगा और फिर उपयोगकर्ता को। फिर ट्रेनिंग के द्वारा व्यक्ति बोल पायेगा।
- जापानी शोधकर्ताओं ने एक ऐसी BCI तकनिकी विकसित की है जिसके द्वारा व्यक्ति वीडियो गेम खेलते वक्त उसको दिमाग के द्वारा नियंत्रित कर सकता है।
- कई संस्थाएं BCI के द्वारा ऐसी तकनीक विकसित करने में लगे हुए हैं जिसके द्वारा दिव्यांग लोग अपना व्हीलचेयर, कंप्यूटर कर्सर, रोबोटिक कृत्रिम अंग इत्यादि नियंत्रित कर सकेंगे।
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bahut bahut dhanywad is article ke liye.
kyaa brain interface ke dwaara hum sabhi cheezen apne brain se kar paayenge? aisa kaise possible hai?
Possible hai
Hum electrod ko hamaare body me kaise lagaate Hain ? Kya isse brain pr koi harm ful effect nahi hota?
Nice bhut hi lajwab
Gjjb shandar
nice article sir
sir or jankari hum eltrod computer control ke bareme kaha se prapt kare.