राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष समापन समारंभ में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व राष्ट्रपति महामहिम श्री प्रणब मुख़र्जी को संघ द्वारा आमंत्रित किया गया था। प्रणब मुख़र्जी आमंत्रण को स्वीकार किया जाने के बाद, सारे देश की निगाहें पूर्व राष्ट्रपति मुख़र्जी पर थी, की वे कार्यक्रम में क्या कहेंगे।
My Address to the Pracharaks on Nation,Nationalism & Patriotism. Indian #Nationalism emanated from "Universalism", the philosophy of वसुधैव कुटुम्बकम् & सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः
Our national identity has emerged through confluence, assimilation & coexistence.— Pranab Mukherjee Legacy Foundation- PMLF (@CitiznMukherjee) June 7, 2018
आपको बतादे, पूर्व राष्ट्रपति महामहिम श्री प्रणब मुख़र्जी अपने राजनितिक जीवन में कांग्रेस के साथ जुड़े रहे हैं। उन्होंने युपीए सरकार के दोनों कार्यकालों में महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले हैं। कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी के करीबी और विपक्षी दलों में आदर का स्थान रखने वाले प्रणब मुख़र्जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके कार्यप्रणाली पर कई बार हमला बोल चुके हैं।
राष्ट्रपति पद ग्रहण करने और सक्रीय राजनीती से बाहर होने के बाद भी कांग्रेस पार्टी नहीं चाहती थी की प्रणब मुख़र्जी संघ के कार्यक्रम में जाएं, हालांकि कांग्रेस के कई वरिष्ट नेताओं ने इस विषय पर आपत्ति जताई लेकिन कांग्रेस पार्टी के ओर से आधिकारिक रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई जिसमे उन्हें कार्यक्रम में नहीं जाने की नसीहत दी गयी हों।
आपको बतादे, पिछले साल जुलाई में राष्ट्रपति पद से निवृत्त होने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी पहले कांग्रेसी नेता नहीं हैं। उनसे पहले कांग्रेस के कई वरिष्ट नेता संघ के कार्यक्रम में शिरकत कर चुके हैं, कांग्रेस की ओर से संघ के कार्यक्रम में हिस्सा लेने वालों में-पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु, भारत के तीसरे राष्ट्रपति डॉ झाकिर हुस्सेन, महात्मा गाँधी, डॉ आंबेडकर भी थे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को राजनितिक दल भारतीय जनता पार्टी का मार्गदर्शक कहा जाता हैं, क्योंकि भाजपा के कई वरिष्ट नेता और वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी संघ के पार्श्वभूमी से आते हैं। कांग्रेस और ने विरोधी दल संघ को एक कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार करनेवाला संगठन मानते हैं।
प्रणब मुख़र्जी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राष्ट्रपति महामहिम श्री प्रणब मुख़र्जी, ऐसे चुनिन्दा नेताओं में से एक हैं, जिनका सन्मान और उनके द्वारा देश के लिए किए गए कार्यों का आदर विपक्षी दल भी करते रहे हैं। आपको बतादे, राष्ट्रपति रहते हुए भी प्रणब मुख़र्जी, संघ के सरसंचालक मोहन भागवत से मुलाकात कर चुके हैं। लेकिन राष्ट्रपति पद की गरिमा का आदर करते हुए किसी भी दल ने इस मुलाकात पर सवाल नहीं उठाये थे। मगर राष्ट्रपति पद से हटने के बाद संघ के कार्यकर्म में जाना कांग्रेस के कई वरिष्ट नेताओं को खटका हैं।
पूर्व राष्ट्रपति मुख़र्जी का भाषण और मुख्य बिंदु
राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष समारोप कार्यक्रम के दौरान संघ की राष्ट्रिय नेत्तृत्व के साथ मंच साझा करते हुए, अपने संबोधन में पूर्व राष्ट्रपति मुख़र्जी ने कहा, “ हमें(और देश को) आगे बड़ते रहेने की शक्ति हमारे सहनशक्ति से मिलती है। भारत एक विविधताओं से बना देश हैं, इस बात का आदर सभी भारतवासी करें। नागरिकता और देशप्रेम को अगर जाती, धर्म और पंथ के आधारों आंका जाने लगा तो यह हमारी भारतीय पहचान के लिए घातक होगा।”
मुखर्जी ने कहा कि इस देश में इतनी विविधता है कि कई बार हैरानी होती है। यहां 122 भाषाएं हैं, 1600 से ज्यादा बोलियां हैं, सात मुख्य धर्म हैं और तीन जातीय समूह हैं लेकिन यही विविधता ही हमारी असली ताकत है। यह हमें पूरी दुनिया में विशिष्ट बनाता है। हमारी राष्ट्रीयता किसी धर्म या जाति से बंधी हुई नहीं है। हम सहनशीलता, सम्मान और अनेकता के कारण खुद को ताकतवर महसूस करते हैं। हम अपने इस बहुलवाद का उत्सव मनाते हैं।