आज ऑपरेशन ब्लू स्टार की 34 वी सालगिरह हैं, इसके मद्देनजर सिखों के धर्मस्थल अमृतसर स्थित हरमंदिर साहिब(स्वर्णमंदिर) और आसपास के इलाकों में पुलिस की तैनाती की जा चुकीं हैं। शहर में शांति और सुव्यवस्था बनाए रखने के लिए पंजाब पुलिस और अर्धसैनिक बलों की कई संवेदनशील जगहों पर तैनाती की गयी हैं।
पंजाब मूलिस के डीजीपी सुरेश अरोरा और पुलिस के वरिष्ट अधिकारीयों ने स्वर्णमंदिर का दौरा किया और सुरक्षा से सभी बंदोबस्तों की जांच की। पंजाब पुलिस के अनुसार ऑपरेशन ब्लू स्टार के 34 वि सालगिरह के मौके पर किसी भी तरह की अलगाववादी ताकतों को रोकने के लिए पुलिस की तैनाती की गयी हैं, इसका(पुलिस तैनाती)का आम नागरिकों पर कोई असर नहीं होगा।
क्या हैं ऑपरेशन ब्लू स्टार और क्यों इसे किया गया
ऑपरेशन ब्लू स्टार एक सैनिक ऑपरेशन था, जिसके तहत अलगाववादीयों द्वारा कब्ज़ा किए गए स्वर्णमंदिर को छुड़ाया गया था।
1984 के जून महीने के पहले सप्ताह में भारतीय सेना द्वारा किए गए इस ऑपरेशन ब्लू स्टार को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी के आदेश पर किया गया था।
सिखों के लिए अलग देश की मांग कर रहे जरनील सिंह भिद्रानवाले और उसके अलगववादीयों ने सिखों के पवित्र धर्मस्थल स्वर्णमंदिर पर कब्ज़ा कर लिया था, स्वर्णमंदिर को बचाने का जिम्मा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने सेना सोंपा था।
इसीबीच यह आशंका जताई जा रही थी की अलगाववादी नेता भिद्रानवाले को पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आयएसआय का समर्थन हासिल हैं और भिद्रानवाले ने अपनी मांगे भारत सरकार के सामने रखीं- भारत सरकार एक रेसोल्यूशन पास करें जिसके तहत सिखों के लिए अलग देश “खालिस्तान’ बन सकें।
खालिस्तान के लिए अलगाववादी नेता भिद्रानवाले ने 1982 से ही काम करना शुरू कर दिया था और 1983 आते आते वह खालिस्तानी मुहीम के लिए जनसमर्थन जुटाने में कामियाब हो चूका था। और भिद्रानवाले के इस अभियान में पाकिस्तान की तरफ से मदत किए जाने की बात कही जाती हैं। पाकिस्तानी आयएसआय ने इस मुहीम को हथियार औ बारूद मुहैय्या कराया था, जिसका वे भारत विरोधी गताविधियों में उपयोग कर सकें।
1983 के मध्य में भिद्रानवाले और उसके साथियों ने स्वर्णमंदिर पर कब्ज़ा कर लिया। अलगाववादीयों से सिखों के पवित्र धर्मस्थल को मुक्त कराना कोई आसान काम नहीं था और दिन प्रतिदिन परिस्थियाँ गंभीर होती जा रही थी, इसलिए इस विषय में कोई निर्णय लेना सरकार के लिए मुश्किल हिता जा रहा था। तत्कालीन इन्दिरा गाँधी सरकार ने अलगाववादीयों से बातचीत करने की कई बार असफल कोशिशें की और इस सभी उपलब्ध पर्यायों की समीक्षा की, करीब छह महीने के विचार के बाद प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी ने सैन्य ऑपरेशन के आदेश दिए।
(ऑपरेशन ब्लू स्टार के वरिष्ट अधिकारी मेजर जन.कुलदीप सिंह बरार,लेफ्ट जन. रंजित दयाल, लेफ्ट जन.कुमारस्वामी सुंदरजी)
दो जून 1984 को पंजाब में कर्फ्यू लागू कर दिया गया और किसी के राज्य से बाहर आने-जाने पर रोक लगा दी गयी, सभी संवादों के माध्यमों को बंद कर दिया गया। देर रात भारतीय सेना की टुकड़ी स्वर्णमंदिर पहुंची। सेना ने इस ऑपरेशन ब्लू स्टार को सफलतापूर्वक पूर्ण किया और ऑपरेशन के अंत में भिद्रानवाले और उसके साथियों ने सेना के सामने आत्मसमर्पण किया।
(ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान आत्मसमर्पण के बड़ते हुए अलगाववादी-रंगीन तस्वीर)
लेकिन दुर्भाग्यवश इस ऑपरेशन में कई लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी जिसमे आम नागरिक, सेना के जवान, अलगववादी भी शामिल थे। ऑपरेशन ब्लू स्टार में दो सब प्लान थे- पहला ऑपरेशन मेटल, जिसके अंतर्गत सभी सशस्त्र अलगाववादीयों मार गिरना और दूसरा सब प्लान था-ऑपरेशन शॉप, जिसके अंतर्गत सभी बचे या भाग निकलने में सफल हुए अलगाववादीयों को पूरे पंजाब में ढूँढ मार गिरना था।
ऑपरेशन ब्लू स्टार के पहले भिद्रानवाले और उसके साथियों ने स्वर्णमंदिर को क्षति पहुंचाई थी। हालांकि मंदिर को फिरसे पहले जैसा कर दिया गया।
(अलगाववादीयों द्वारा स्वर्णमंदिर को पहुंचाई गयी क्षति)
ऑपरेशन ब्लू स्टार ने भारतीय एकता का परिचय दिया और पंजाब से सभी अलगाववादी ताकतों को खदेड़ दिया। भारत को धर्म के आधार पर तोड़ने की पाकिस्तान की कोशिश नाकाम हुई।