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    महात्मा गाँधी

    रेलवे बोर्ड ने महात्मा गांधी की जयंती यानी 2 अक्टूबर को देशभर के रेलवे परिसर व ट्रेनों में मांसाहारी भोजन ना परोसे जाने का सुझाव दिया है।

    अगर इस सुझाव को सरकार से मंजूरी मिल गई तो 2 अक्टूबर को ना सिर्फ स्वच्छता दिवस के रुप में मनाया जाएगा बल्कि शाकाहारी दिवस के तौर पर भी मनाने की शुरुआत होगी।

    रेलवे बोर्ड के अनुसार 2018, 2019, व 2020 में 2 अक्टूबर को रेलवे परिसर व ट्रेनों में मांसाहारी भोजन नहीं परोसा जाएगा। यह प्रस्ताव भारत सरकार के द्वारा महात्मा गांधी की 150 वी जयंती को धूमधाम से मनाए जाने के परिपेक्ष में लाया गया है।

    2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जन्म तिथि मनाई जाएगी। स्वच्छ भारत अभियान के लिए भी मोदी सरकार ने यही लक्ष्य रखा था। शाकाहार दिवस मनाने के अलावा रेलवे खास “नमक ट्रेन” चलाने पर विचार कर रही है। यह 12 मार्च को साबरमती से शुरू होगी साथ ही रेलवे “स्वच्छता” ट्रेनें भी चलाएगी, जो कि साबरमती से शुरू होकर गांधी के जीवन से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण स्टेशनों तक जाएगी।

    रेलवे के राष्ट्रीय प्रवक्ता के अनुसार भारतीय रेल महात्मा गांधी के चित्र वाली टिकट जारी करेगा।  रेल मंत्रालय ने हाल में ही इस संदर्भ में सभी रेलवे जोनों को विज्ञप्ति जारी कर जानकारी दी है।

    इन सबके अलावा महात्मा गांधी से संबंधित रेलवे स्टेशन को गांधी संबंधित चित्रकारी से सजाये जाने की भी योजना है। महात्मा गांधी के देश के प्रति योगदान को दर्शाने वाले डिजिटल संग्रहालय भी अनेकों जगहों पर खोले जाएंगे।

    गांधी जी के जन्म दिवस के लिए रेलवे ने खास लोगो बनाया है जिसे ट्रेनों पर दर्शाया जाएगा।

    हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गांधी जी की 150वीं जन्म दिवस की तैयारियों को लेकर एक सभा का आयोजन किया था जिसमें प्रधानमंत्री समेत कई गणमान्य लोग शामिल थे।

    राष्ट्रपति जी ने अपने सभा संबोधन में कहा था कि यह मौका हम केवल गांधी महात्मा गांधी के जयंती के तौर पर नहीं मनाया जाना चाहिए बल्कि इस मौके पर हमें महात्मा गांधी के विचारों को पूरे विश्व तक पहुंचाने का प्रयास करना होगा।

    महात्मा गांधी सिर्फ भारत के राष्ट्रपिता नहीं है, बल्कि वह भारत देश की ओर से विश्व शांति व समृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान थे। इसलिए हमें कोशिश करना चाहिए कि महात्मा गांधी के मूल्य संपूर्ण जगत तक पहुंचे, यही महात्मा गांधी को हमारी तरफ से सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

    विवादों की आहट

    यहां गौर करने वाली बात यह है की सरकार महात्मा गांधी को मांसाहार विरोध अथवा शाकाहारी भोजन के प्रचार का जरिया बना रही है। यह सच है की महात्मा गांधी शाकाहार के बड़े समर्थक थे।

    पर वर्तमान में भाजपा सरकार के पिछले 4 वर्षों में खान पान को लेकर हुए विवादों को देखा जाए तो यह कहना कतई अनुचित नहीं होगा की सरकार का यह फैसला भी धार्मिक व राजनैतिक विवादों के घेरे में आ जाएगा। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का मौका कतई नहीं छोड़ेगा।

    शाकाहार को बढ़ावा देना पर्यावरण की सुरक्षा के किये सही है। पर क्या ऐसे मुद्दे को राष्ट्रपिता के जन्मदिवस उत्सव से जोड़ना सही है जिस को लेकर पिछले चार वर्ष के सबसे बड़े विवाद उत्प्न्न हुए हैं?

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