कॉमनवेल्थ गेम्स के अंतिम दिन ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में बैडमिंटन की एकल स्पर्धा का फाइनल भारतीय खिलाड़ियों पीवी सिंधु व साइना नेहवाल के बीच खेला गया।
हालांकि दोनों भारतीय खिलाडी होने के कारण भारतीय झोली में स्वर्ण व रजत पदक का आना तय था लेकिन रोमांच इस बात का था कि सुनहरी बाजी किसके हाथ लगती है।
लन्दन ओलिंपिक में कांस्य पदक विजेता साइना नेहवाल ने रियो ओलिंपिक में रजत पदक विजेता पीवी सिंधु को 21-18 व 23-21 से हराकर स्वर्ण अपने नाम किया और इसी के साथ साइना कॉमनवेल्थ गेम्स में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाडी बनी।
इससे पहले उन्होने 2010 में दिल्ली में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में भी स्वर्ण पदक हासिल किया था।
56 मिनट तक चले इस गेम में साइना अच्छी शुरुआत के साथ 8-4 की बनाई उन्होने अपने अनुभव का फायदा उठाते हुए सिंधु को ज्यादा मौके नहीं दिए।
हालाँकि सिंधु ने अच्छी वापसी करते हुए स्कोर 20-18 कर दिया, यहाँ साइना ने एक अंक लेकर पहले गेम को 21-18 से अपने नाम किया। दूसरे गेम में सिंधु ने अच्छी शुरुआत करते हुए 7-5 की बढ़त बनायीं तभी साइना ने वापसी कर स्कोर 8-10 कर दिया।
सिंधु ने अपना दबदबा दिखते हुए अंक लेकर 16-14 की बढ़त फिर से हासिल कर ली, गेम को रोमांचित करते हुए साइना ने शानदार वापसी की और स्कोर 20-20 से बराबर कर दिया,साइना ने यहां से फिर 21-20 की बढ़त बनायी लेकिन सिंधु ने फिर से अंक लेकर स्कोर 21-21 कर दिया।
अनुभवी साइना ने यहां दो अंक लेकर 23-21 से दूसरा गेम अपने नाम कर लिया और इसी के साथ स्वर्ण पदक पर कब्ज़ा जमा लिया। वर्ल्ड तीन रैंकिंग वाली खिलाडी सिंधु को भले ही रजत पदक से संतोष करना पड़ा हो लेकिन ग्लास्गो में आयोजित 2014 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में जीते कांस्य पदक को रजत पदक में बदलने में वह कामयाब रहीं।