Sat. Nov 23rd, 2024
    सीरियाई गृहयुद्ध रूस

    2011 से जारी सीरिया के गृह युद्ध में अनुमानित रूप से 4 लाख 65 हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है और 1 करोड़ 20 लाख लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। जहाँ यह गृह युद्ध हर दिन और ज़्यादा जटिल होता जा रहा वहीँ इसका खामियाज़ा वहां के आम लोगों को रोज़ाना भुगतना पड़ रहा है।

    इसी कड़ी में सीरिया के पूर्वी घूटा व आफरीन इलाके में दिन-ब-दिन हालात बिगड़ते जा रहे हैं।

    पूर्वी घूटा:

    सीरिया की राजधानी डमास्कस से 10 किलोमीटर पूर्व स्थित पूर्वी घूटा, इसे सीरियाई सरकार के लिए महत्वपूर्ण बना देता है। यह क्षेत्र वर्तमान में विद्रोहियों के कब्ज़े है जिसमें करीब 4 लाख रहते हैं और 104 वर्ग किलोमीटर इलाक़े में फैला हुआ है।

    राष्ट्रपति बशर-अल-असद की सेना ने इस क्षेत्र की 2013 से घेराबंदी कर रखी है। घूटा, विद्रोहियों का आख़िरी राजधानी के पास कब्ज़े में बचा हुआ इलाका है। 2017 में रूस, ईरान और तुर्की ने इसको डी-एस्केलेशन क्षेत्र मानने पर सहमती जताई थी, जहाँ पर सीरियाई और रुसी लड़ाकू जहाज़ों को उड़ान भरने की अनुमति नहीं होती है।

    पिछले महीने की 19 तारीख को सीरियाई सेना ने रुसी मदद के साथ घूटा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हमला बोल दिया और इस इलाक़े पर लगातार ज़ोरदार बमबारी जारी है। कुछ ही दिनों के भीतर इस बमबारी से सैकड़ों लोगों की मौत की ख़बरें सामने आई हैं जिसे एमनेस्टी इंटरनेशनल संस्था ने युद्ध अपराध की तरह माना है।

    सीरिया

    इसके बाद 24 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा की सुरक्षा परिषद ने 30 दिनों के युद्ध विराम के लिए संकल्प जारी किया, जिसका समर्थन रूस ने भी किया। हालांकि इसे नज़रंदाज़ करते हुए सीरियाई सेना ने 25 फरवरी को बड़ा ज़मीनी आक्रमण शुरू कर दिया। इसका मकसद ज़मीनी सेनाओं को लगातार आगे की ओर बढ़ाना है।

    27 फरवरी को रूस ने मानवीय आधार के नाम पर रोज़ाना 5 घंटे के लिए हवाई बमबारी रोकने का एलान किया है जिससे कि वहां के आम लोग घूटा से पलायन कर सकें। वहीँ सीरियाई सेना ने 10 फरवरी को घूटा के इलाके को तीन हिस्सों में बाँट दिया और क्षेत्र के सबसे बड़े नगर, मेसरबा को विद्रोहियों के हांथों से छुड़ा लिया।

    11 फरवरी तक तीन हफ़्तों के लगातार अभियान की वजह से 1000 से ज़्यादा आम लोगों के मारे जाने की ख़बरें आ चुकी है।

    ताज़ा आंकड़ों में सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के मुताबिक 20 मार्च तक 1473 लोग अपनी जान गवां चुके हैं, इनमें 301 बच्चे और 185 महिलाएं शामिल हैं। इसी बीच युद्ध के दौरांन ज़हरीली क्लोरीन गैस के इस्तेमाल की बातें भी सामने आई जिन्हें कि रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने “बकवास” करार दिया है।

    संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ ने कहा है कि अगर उसकी योजना अमल में लायी जाये तो करीब 50 हज़ार लोगों को सुरक्षित रूप से बाहर निकाला जा सकेगा। सीरियाई और रूसी सेना के बनाये गए मानवीय गलियारे से अब तक 4000 लोगों को निकाला जा सका है।

    सीरियाई सेना ने घूटा के लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र से विद्रोहियों को बाहर कर चुकी है और इस इलाके का विद्रोहियों के हांथों से जाना ज़ाहिर तौर पर राष्ट्रपति असद के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जाएगा।

    आफरीन:

    आफरीन शहर उत्तरी सीरिया में स्थित है। 2012 में सीरियाई गृह युद्ध के दौरान यह शहर कुर्द लड़ाकों (वाईपीजी) के हांथों में चला गया था।

    वाईपीजी वही लड़ाके हैं जिन्होंने आतंकी संगठन आइसिस को सीरिया के बड़े इलाके से खदेड़ने में काफ़ी मदद की है। इन लड़ाकों का अमरीका समर्थन करता है और आइसिस के खिलाफ़ लड़ाई में उसे पैसों और हथियारों से मदद पहुंचाते आया है।

    हालांकि तुर्की जोकि वैसे तो नेटो देशों में से एक है और अमरीका का साथी है, वाईपीजी को आतंकी समूह मानता है और इसलिए आफरीन जैसे शहर जो तुर्की की सीमा के नज़दीक हैं उनसे इस संगठन को साफ़ करना चाहता है। इस अभियान में उसे सीरिया के विद्रोही गुटों जैसे फ्री सीरियन आर्मी (एफएसए) का भी साथ मिला हुआ है।

    दरअसल, कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) को नेटो देशों सहित यूरोपीय संघ ने आतंकी संगठन का दर्जा दे रखा है। यह संगठन तुर्की के साथ दशकों से हिंसात्मक लड़ाई में शामिल रहा है जिसमें हजारों लोगों ने अपनी जान गवाई। तुर्की, वाईपीजी को पीकेके के विस्तार के रूप में मानता है और सीमा के करीब इनकी उपस्थिति को अपने लिए खतरा समझता है।

    जनवरी 2018 से ही तुर्की लगातार हवाई बमबारी और ज़मीनी आक्रमण की मदद से वाईपीजी को खदेड़ने की कोशिश में है। 26 फरवरी तक वाईपीजी को पूरी तरह से तुर्की-सीरिया सीमा से पीछे कर दिया गया।

    16 फरवरी को आफरीन शहर पर भारी बमबारी में 43 लोगों के मारे जाने की ख़बर सामने आई जिनमें कई बच्चे भी शामिल थे। इस बीच, अगर नवम्बर 2017 से देखा जाए तो अब तक करीब 2,23,000 हज़ार लोगों ने आफरीन शहर छोड़ दिया है और सीरियाई सरकार द्वारा नियंत्रित इलाके में शरण ली है।

    18 मार्च को आखिरकार तुर्की की सेना ने पूरी तरह से आफरीन को अपने कब्ज़े में ले लिया जिसकी घोषणा ख़ुद तुर्की के राष्ट्रपति तायिप एर्दोगान ने की। हाल में यह भी ख़बर आई है कि आफरीन शहर में तुर्की द्वारा समर्थित विद्रिहियों ने लूट-पाट की घटनाओं को अंजाम दिया।

    इसके साथ ही तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगान ने इस अभियान को पूर्व में कुर्द द्वारा नियंत्रित इलाकों में और आगे बढ़ाने का वादा किया है और आफरीन पर जीत को बस एक अल्पविराम करार दिया।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *