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मालदीव संकट

मालदीव में राजनीतिक संकट गहरा चुका है। मालदीव में 5 फरवरी को 15 दिन के लिए आपातकाल लगाया था। जिसे बढ़ाकर अब 30 दिन अधिक कर दिया है। पहले से लगे हुए आपातकाल को 30 दिनों तक और बढ़ाया जाएगा। यह फैसला मालदीव की संसदीय समिति ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की अनुशंसा पर लिया है। इससे यामीन की ताकत बढ़ती हुई नजर आ रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक पीपुल्स मजलिस की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की एक असाधारण बैठक के दौरान आपातकाल को 30 दिन अधिक बढ़ाए जाने पर स्वीकृति प्रदान की गई है। पीपुल्स मजलिस के उपाध्यक्ष, सांसद मूसा मानिक ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि समिति ने बंद दरवाजों के पीछे बैठक आयोजित करके इस पर फैसला लिया।

खास बात यह है कि इन फैसलों के समय विपक्षी सासंदो को बैठक में शामिल नहीं किया गया। वहीं विपक्ष इसे असंवैधानिक बता रहा है। कुल 38 सांसदों ने आपातकाल का प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए मतदान किया और मूल्यांकन के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा समिति को भेज दिया।

इस आदेश को पारित कराने के लिए मजलिस चैंबर में कम से कम 43 सांसदों को उपस्थित होने की आवश्यकता है। मजलिस के एक नेता ने कहा कि इसके लिए जब 43 सासंदो को बुलाया जाएगा तो वे निश्चित रूप से इतनी संख्या में शामिल होंगे।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट व मालदीव सरकार के बीच में तनातनी के बाद यामीन ने आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल कानून के तहत, यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों को गिरफ्तार किया।

भारत व चीन मुख्य रूप से मालदीव संकट पर नजर बनाए हुए है। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति ने भारत से सैन्य हस्तक्षेप की मांग की है। वहीं भारत इस मामले पर नजर बनाए हुए है।