पाकिस्तान में इस समय भारी आर्थिक मंदी है। पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय के एक आंकड़े के मुताबिक पाकिस्तान का विदेशी कर्जा बढ़कर 80 अरब डॉलर हो गया है। इसमें से पाकिस्तान नें करीबन 6.6 अरब डॉलर इसी वित्तीय साल में उधार लिए हैं। भारी मंदी के कारण पाकिस्तानी रुपये की खरीदने की क्षमता काफी कमजोर हो गयी है। इसी से उबरने के लिए अब पाकिस्तान नें चीन से 500 मिलियन डॉलर का एक और कर्जा लिए है।
पाकिस्तान को यह कर्जा चीन के आईसीबीसी बैंक नें दिया है। इसी बैंक नें पिछले साल अक्टूबर महीनें में भी पाकिस्तान को 500 मिलियन डॉलर का कर्जा दिया था। चीनी अधिकारीयों के मुताबिक इस कर्जे की मदद से पाकिस्तानी रुपये को मजबूत किया जा सकेगा। इसके अलावा पाकिस्तानी के घटते विदेशी मुद्रा संग्रह को भी इससे मदद मिलेगी।
पाकिस्तानी स्टेट बैंक नें दिसम्बर में पाकिस्तानी रुपये को डॉलर के मुकाबले 5 फीसदी से ज्यादा कमजोर कर दिया था। वर्तमान में पाकिस्तानी रुपया अंतराष्ट्रीय मौद्रिक फण्ड द्वारा निर्धारित सीमा से भी कमजोर है। ऐसे में पाकिस्तानी बैंक लगातार विदेशी कर्जा लेकर इसे मजबूत करने में लगे हैं।
दिसंबर 2017 के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान का कुल विदेशी कर्जा 88.9 अरब डॉलर पहुँच गया है। इस बढ़त का मुख्य कारण है, महँगी दरों पर लोन लेना। जाहिर है सीपीईसी योजना के तहत चीनी बैंकों नें पाकिस्तान को भारी कीमत पर कर्जे दिए हैं। ऐसे में आने वाले समय में पाकिस्तान की आर्थिक मंदी ठीक होती नहीं दिख रही है।
सीपीईसी
सीपीईसी के तहत पाकिस्तान नें चीन से करीबन 62 अरब डॉलर का कर्जा लिया है। रिपोर्टों के मुताबिक चीन इस कर्जे पर 4-5 फीसदी मुनाफा कमा रहा है। ऐसे में यह कर्जा पाकिस्तान के लिए आने वाले समय में काफी महंगा साबित हो सकता है।
कई पाकिस्तानी विशेषज्ञ और आर्थिक सलाहकार भी इसपर आपत्ति जता चुके हैं। ऐसे में यह लगता है कि आने वाले समय में सीपीईसी से सिर्फ चीन का फायदा होने वाला है।
पाकिस्तान में चीन के भारी निवेश को दुसरे देशों के लोग काफी शंका से देख रहे हैं। खुद पाकिस्तान का मानना है कि कर्जा देने से पहले कुछ ठोस नियम और शर्तें नहीं बनायीं गयी थी। इस कारण से चीन आने वाले समय में मनमानी जरूर करेगा।