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    माणिक सरकार

    बांग्लादेश से तीनों तरफ से घिरा भारत का छोटा सा राज्य त्रिपुरा में 18 फरवरी को चुनाव होने जा रहा है। इस समय त्रिपुरा में मनिक सरकार है जो वामपंथी दलों की सरकार है। लेकिन अबकी बार राज्य  में वामपंथी सरकार को बीजेपी से कड़ी चुनौती मिल रही है। वामपंथी सरकार सीपीआई (एम) ने पिछले 25 सालों से राज्य में शासन किया है। लेकिन अबकी बार उसे बीजेपी की तरफ से कड़ी चुनौती मिल रही है।

    एक हार का मतलब देश में वामपंथी राजनीति का विलुप्त होना है। केरल में भी वामपंथी कमजोर है। बीजेपी ने पिछले तीन सालों में कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए वामपंथी दलों को मुख्य चुनौती दी है। भाजपा के एक शक्तिशाली दल के रूप में पेश होने के बावजूद सीपीएम उत्साहित है और कह रही है कि यह साम्यवाद और सांप्रदायिकता के बीच लड़ाई है।

    वाम मोर्चा के संयोजक का कहना है कि अगर हम जीतते है तो त्रिपुरा की नहीं बल्कि पूरे देश के लोकतंत्र की जीत होगी। इस बार बीजेपी नई पार्टी के तौर पर यहां आई है। बीजेपी के झंडे राज्य में साफ तौर से दिखाई दे रहे है। दोनो दी दलों के द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ जमकर नारेबाजी देखी जा रही है।

    सीपीएम के राज्य सचिव बिजन धर के मुताबिक भाजपा यहां सरकार नहीं बना रही है। भाजपा जानता है कि पश्चिम में सूरज शुरू हो गया है। यही कारण है कि वे पूर्व में सूर्योदय की तलाश कर रहे है। बीजेपी के राज्य पर्यवेक्षक सुनील देवधर के मुताबिक पिछले तीन साल में वामपंथी राज्य में भगवा पार्टी का विकास हुआ है।

    केन्द्र सरकार राज्य की जनता के लिए बडी मात्रा मे फंड जारी कर रही है। लेकिन वाम सरकार उसे जनता तक नहीं पहुंचने दे रही है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह व यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी त्रिपुरा में रैली करके सीपीएम सरकार पर जमकर निशाना साधा है।

    भाजपा कम्युनिस्टों पर निर्वाचिक जीत के लिए उत्सुक है। त्रिपुरा के जनजातीय इलाकों में कम्युनिस्टों ने अपना प्रभाव जमा रखा है। आदिवासियों के लिए राज्य सरकार द्वारा काम किया जा रहा है। बीजेपी के द्वार रैलियों में वाम मुक्त भारत बनाने का नारा दिया जा रहा है।

    मोदी पहले से ही यहां दो रैलियों में भाग ले चुके है और गुरुवार को दो और रैली भी आयोजित करेंगे। अमित शाह फरवरी से अगरतला में डेरा डाले हुए है। वे लगातार वाम सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर रहे है। योगी आदित्यनाथ भी वहां रैली कर चुके है।

    कई केन्द्रीय मंत्री यहां पर अपना अभियान चला रहे है। बीजेपी जहां पर सोशल मीडिया का सहारा ले रही है वहीं वामदलों द्वारा परंपरागत रूप से घर-घर जाकर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।