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    राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का गणतंत्र दिवस पर संबोधन, भारत की प्रगति और भविष्य पर जोर

    राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपने संबोधन में कहा कि भारत अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए अमृत काल की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक युगांतरकारी परिवर्तन का कालखंड है। उन्होंने कहा कि हमें अपने देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का सुनहरा अवसर मिला है। इसके लिए उन्होंने सभी देशवासियों से संविधान में निहित मूल कर्तव्यों का पालन करने का अनुरोध किया।

    उन्होंने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था, लोकतंत्र की पश्चिमी अवधारणा से कहीं अधिक प्राचीन है। उन्होंने कहा कि इसीलिए भारत को “लोकतंत्र की जननी” कहा जाता है। उन्होंने कहा कि भारत की विविधता का उत्सव, समता पर आधारित है जिसे न्याय द्वारा संरक्षित किया जाता है।

    राष्ट्रपति ने कहा कि भारत, सामाजिक न्याय के मार्ग पर अडिग है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम महिला आरक्षण विधेयक का पारित होना है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक, महिला सशक्तीकरण का एक क्रांतिकारी माध्यम सिद्ध होगा।

    उन्होंने कहा कि भारत, अंतरिक्ष यात्रा में अनेक नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र पर उतरने वाला पहला देश बना। उन्होंने कहा कि भारत, अपने प्रथम मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, “गगनयान मिशन” की तैयारी में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

    राष्ट्रपति ने कहा कि भारत, आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। उन्होंने कहा कि भारत, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहा है।

    राष्ट्रपति ने कहा कि भारत, शांति और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत, पर्यावरण के प्रति सचेत जीवन-शैली अपनाने के लिए “LiFE Movement” शुरू किया है।

    उन्होंने कहा कि भारत, युवाओं के लिए अवसरों के समानता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत, युवाओं के मनो-मस्तिष्क को संवारने के लिए शिक्षकों के योगदान की सराहना करता है। राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षक, राष्ट्र का भविष्य बनाते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को बच्चों में देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक न्याय की भावना को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए।

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