समुद्र की लहरों के संग गूंजते भजनों की स्वर लहरियों में, पापों को धोने वाले गंगा के पवित्र जल में, और लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के सागर में डूब जाना, यही है गंगासागर मेला का सार। मकर संक्रांति के पावन अवसर पर पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप के तट पर लगने वाला यह मेला, केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आस्था का अनंत तीर्थ, और मानवता का दूसरा सबसे बड़ा सागर है।
कहते हैं कि मकर संक्रांति के दिन सागर द्वीप पर गंगा नदी से मिलकर समुद्र पवित्र हो जाता है। इस पवित्र जल में स्नान करने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है। यही कारण है कि हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस मेले में स्नान करने के लिए आते हैं।
महाभारत के अनुसार, पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इसी द्वीप पर रहकर सूर्य की उपासना की थी। तभी से इस द्वीप को हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता है।
मकर संक्रांति से एक महीने पहले से ही मेले की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। द्वीप पर विशाल पंडाल बनाए जाते हैं, साधु-संतों के लिए कुटियाएं बनती हैं, और दुकानें लगती हैं। मेले के दौरान, द्वीप पर हर तरफ उत्सव का माहौल होता है। भजन कीर्तन, रामलीला, नाटक आदि का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालु स्नान के बाद दान करते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं।
गंगासागर मेला केवल एक धार्मिक यात्रा ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक अनुभव भी है। यहां देश के विभिन्न हिस्सों से आए लोग अपनी संस्कृतियों को एक-दूसरे के साथ साझा करते हैं। मेले में विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का लुत्फ उठाया जा सकता है और हस्तशिल्प की दुकानों से स्मृति चिन्ह खरीदे जा सकते हैं।
हालांकि, मेले में इतनी भीड़ होने के कारण, सुरक्षा और स्वच्छता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। सरकार और स्थानीय प्रशासन द्वारा मेले के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं। साथ ही, स्वच्छता बनाए रखने के लिए भी विशेष अभियान चलाए जाते हैं।
यदि आप गंगासागर मेले में जाने की योजना बना रहे हैं, तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले, मकर संक्रांति के आसपास का समय काफी ठंडा होता है, इसलिए गर्म कपड़े अवश्य लेकर जाएं। दूसरे, मेले में बहुत भीड़ होती है, इसलिए अपने सामान का ध्यान रखें। तीसरे, मेले में यातायात की व्यवस्था भी सीमित होती है, इसलिए पहले से ही आने-जाने की व्यवस्था कर लें।
गंगासागर मेला एक ऐसा अनुभव है जो जीवन भर याद रहता है। यह आस्था, संस्कृति और मानवता का अद्भुत संगम है। यदि आपको कभी मौका मिले, तो अवश्य ही इस मेले में शामिल हों।