हर दिन लोग ना जाने कितनी ही गंभीर बीमारियों से ग्रसित होते है। ऐसी बीमारियाँ भले ही गंभीर होती है लेकिन उनका इलाज भी संभव होता है। लेकिन कुछ बीमारियाँ ऐसी भी है जिनका इलाज बिलकुल संभव नहीं और यही कारण इन बीमारियों को और भी घातक बनाता है। आज हम इस लेख में इसी तरह की एक जानलेवा और नाइलाज बीमारी एड्स के बारे में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करेंगे।
एड्स क्या है? (what is aids in hindi)
एड्स, ‘एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम’ का छोटा नाम है। यह बीमारी एचआईवी (HIV) नामक वायरस की वजह से होती है। एड्स अपने आप में एक बिमारी नहीं है। यह बस एक लक्षण है, जो आपके शरीर के इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है, और इसे कमजोर बना देता है।
यहाँ फर्क समझना है कि एचआईवी और एड्स दोनों ही अलग-अलग है लेकिन दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए है। अर्थात HIV के कारण एड्स होता है और अगर यदि किसी इंसान को एड्स हुआ है तो वह अवश्य ही एचआईवी की बीमारी से जूझ चूका है।
एचआईवी और एड्स में फर्क (difference between hiv and aids in hindi)
एचआईवी का पूरा नाम “ह्यूमन इम्मुनो डेफिशियेंसी वायरस” है। सामान्य इंसान कई तरह के वायरस की वजह से अनेकों बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। उत्तम उदाहरण के लिए आप बुखार को ही ले लीजिए। बुखार भी एक वायरस की वजह से ही होता है। जब इंसान को बुखार होता है तो वह कुछ दिनों बाद ठीक भी हो जाता है क्योकि जब ऐसे वायरस शरीर पर आक्रमण करते है तो हमारे शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता उस वायरस के विरुद्ध एंटीबाडी का उत्पादन करती है जो उन वायरस को ख़त्म कर देता है। यह प्रतिरोधक क्षमता हमें CD4 (टी-कोशिका) नामक कोशिका के कारण मिलती है।
वैसे वायरस तो हमेशा हमारे शरीर में रहते है लेकिन टी कोशिका के कारण ये बहुत ही कम बार अपने आपको व्यक्त कर व्यक्ति को ग्रसित कर पाते है।
एक आम भाषा में समझने के लिए कहे तो यदि आपके शरीर की टी कोशिकाएँ मजबूत है तो यह वायरस थोड़ी देर बाद आपके शरीर से निकल जाते है (सिर्फ समझने के लिए, वास्तव में एक बार शरीर में प्रवेश करने के बाद वायरस कभी बाहर नहीं निकलते। मजबूत प्रतिरोधक प्रणाली के प्रभाव में सिर्फ उनका प्रभाव कम हो जाता है।)।
अब जब एचआईवी शरीर पर आक्रमण करते है तो वे सीधे इन्ही टी कोशिकाओं पर हमला करते है अर्थात शरीर की संक्रमण से लड़ने की शक्ति का भंडार जहाँ पर मौजूद है वह ही अब नष्ट होने के कगार पर होता है। अब जब टी कोशिकाओं पर ही हमला हो जाता है तो शरीर एचआईवी के विरुद्ध कोई एंटीबाडीज का उत्पादन नहीं कर पाता है अर्थात शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बहुत ही अधिक कमजोर हो जाती है क्योकि टी कोशिकाओं की संख्या अब कम होने लगती है।
जब इंसान एचआईवी से ग्रसित हो जाता है तो प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण वह बार-बार बीमार पड़ने लगता है। अब जब टी कोशिका पर ही आक्रमण हुआ है तो HIV वायरस को बाहर निकालना नामुमकिन हो जाता है। लेकिन यदि सही समय पर व्यक्ति को इलाज मिले तो कम से कम इस वायरस की संख्या को शरीर में नियंत्रित तो किया जा ही सकता है। इस वायरस की संख्या को जो चिकिस्ता नियंत्रित करती है उसका नाम है ‘A -R -T ‘ (आर्ट)।
लेकिन यदि सही समय पर इलाज नहीं मिला तो यह वायरस हर दिन शरीर में अपनी संख्या को बढ़ाते रहते है और तब एक ऐसी स्थिति पहुँचती है जब टी कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट हो जाती है। इस स्थिति में शरीर की सारी प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह ख़त्म हो जाती है और इंसान मामूली सी बीमारी जैसे कि सर्दी-जुखाम, को झेलने में भी असमर्थ हो जाता है। इसी स्थिति को एड्स कहा जाता है।
अर्थात एचआईवी की अंतिम स्टेज को एड्स के नाम से जाना जाता है इसलिए एड्स, एचआईवी संक्रमण का ही एक हिस्सा है लेकिन दोनों ही संक्रमण एक नहीं क्योकि एचआईवी में भले ही टी कोशिकाएँ प्रभावित होती है।
(यहाँ दी गयी तस्वीर में आप देख सकते हैं कि किस तरह एचआईवी वायरस (हरे रंग में) शरीर की अन्य कोशिकाओं को नष्ट करता है। एड्स की अंतिम स्टेज आते-आते ये वायरस इतने हावी हो जाते हैं, कि इनका तोड़ निकालना मुश्किल हो जाता है।)
परंतु यदि इलाज हुआ तो यह कोशिकाएँ फिर से (भले ही पूरी तरह से नहीं ) अपना कार्य करने लगती है अर्थात एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति अन्य संक्रमण से लड़ने में तब भी समर्थ होता है।
लेकिन यदि बात करें एड्स की, तो इसमें अन्य किसी भी संक्रमण से लड़ने की पूरी गुंजाईश ही ख़त्म हो जाती है क्योकि शरीर को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने का स्रोत, टी कोशिकाएँ, ही पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हुई रहती है। इस स्थिति में इंसान के बचने की कोई उम्मीद नहीं रहती है।
इस तरह से यदि इंसान एचआईवी से संक्रमित है (एचआईवी पॉजिटिव) तो इसका मतलब यह नहीं कि वह एड्स से भी संक्रमित है। यदि एचआईवी को नियंत्रित नहीं किया गया तो व्यक्ति एचआईवी के अंतिम चरण अर्थात एड्स की स्थिति तक पहुँच सकता है। इसलिए एचआईवी एक वायरस है और एचआईवी पॉजिटिव मतलब इंसान इस वायरस से संक्रमित है। एड्स एक स्थिति है जो एचआईवी के कारण होता है और जो एचआईवी संक्रमण का अग्रिम चरण है।
अब जब एचआईवी और एड्स, दोनों ही एक-दूसरे से जुड़े हुए है तो अब आगे की सारी जानकारियाँ दोनों के ही सन्दर्भ में होगी।
एचआईवी और एड्स के कारण (causes of aids in hindi)
अभी-अभी हमने आर्ट चिकिस्ता की बात की थी। आर्ट एक चिकिस्ता पद्धति है जिसमें ऐसी औषधियों का इस्तेमाल होता है जिससे एचआईवी का विकास धीमा हो जाता है या पूरी तरह से रुक जाता है। लेकिन यदि यह चिकित्सा सही समय पर एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति को नहीं दी गई तो यह वायरस इस चिकिस्ता की अनुपस्थिति में और भी विकास करने लगते है और महत्वपूर्ण अंगो और प्रतिरोधक प्रणाली की कोशिकाओं को और भी नुकसान पहुचाने लगते है। इस वायरस के फैलने की गति हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है और यह गति कई बातो पर निर्भर करती है जैसे कि:-
- व्यक्ति की उम्र
- संक्रमण से लड़ने की व्यक्ति के शरीर की क्षमता
- चिकिस्तीय सुविधाओं की तरफ व्यक्ति की पहुँच
- व्यक्ति का अनुवांशिक इतिहास
- एचआईवी की कुछ जातियों के विरुद्ध व्यक्ति के शरीर का प्रतिरोध करना, इत्यादि
एचआईवी कैसे फैलता है (how does aids spread in hindi)
अन्य वायरस की तरह एचआईवी वायरस भी एक इंसान से दूसरे इंसान में फ़ैलता है। अब यह संक्रमण या फैलाव मुख्यतः तीन प्रकार से हो सकता है:-
1. यौन गतिविधियों के कारण:- जब कोई सामान्य व्यक्ति एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाता है फिर चाहे वो यौनि, मुख या गुदा द्वारा ही यौन संबंध क्यों ना हो, तब उस व्यक्ति के भी एचआईवी पॉजिटिव होने के आसार बहुत ही अधिक बढ़ जाते है।
यदि इंसान एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति के साथ यौन संबंध नहीं भी बनाता है लेकिन यदि उस पीड़ित व्यक्ति के संक्रमित यौन द्रव्यों (जैसे कि गुदा, जननांग, या मौखिक श्लेष्म झिल्ली) के संपर्क में आता है तो भी उसके एचआईवी पॉजिटिव होने आसार बढ़ जाते है।
2. प्रसवकालीन गतिविधियों के कारण:- यदि महिला एचआईवी से पीड़ित है और साथ में गर्भवती भी है, तो वह तीन तरीको से अपने बच्चे को एचआईवी से संक्रमित कर सकती है:-
- स्तनपान के जरिए
- बच्चे के जन्म के दौरान
- गर्भवती होने के दौरान अर्थात प्लेसेंटा के जरिए
3 . रक्त से जुड़ी गतिविधियों के कारण:- यदि सामान्य व्यक्ति को भी उसी सीरिंज से इंजेक्शन लगाया जाता है जिससे एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को, तो उस संक्रमित व्यक्ति के रक्त के जरिए सामान्य व्यक्ति को भी एचआईवी का संक्रमण हो सकता है।
इसके अलावा यदि शेविंग के लिए भी एक ही ब्लेड का उपयोग करते है तो उस ब्लेड के जरिए भी एचआईवी संक्रमित व्यक्ति से सामान्य व्यक्ति को एचआईवी संक्रमण फ़ैल सकता है। यदि एचआईवी से संक्रमित रक्त भी किसी सामान्य व्यक्ति को अनुदान (डोनेट) किया जाता है तो उससे भी एचआईवी संक्रमण सामान्य व्यक्ति तक फैलता है।
एचआईवी के लक्षण (symptoms of aids in hindi)
भले ही एचआईवी संक्रमण वायरस की वजह से होता है लेकिन उसके लक्षण वायरस, बैक्टीरिया, फंगस इत्यादि इन सब के कारण होने वाले संक्रमण से दिखाई देते है।
चूँकि एचआईवी का संक्रमण कई चरणों से होकर गुजरता है, इसलिए हर चरण के अपने अलग ही लक्षण है:-
1. शुरुवाती एचआईवी के लक्षण:-
कई व्यक्तियों में यह देखा गया है कि एचआईवी के लक्षण संक्रमण के कई महीनो या सालो के बाद भी नहीं दिखाई देते, लेकिन कई व्यक्तियों में यह लक्षण करीब 2 से 6 महीनों में ही दिखाई देने लगते है।
ऐसे लक्षण कुछ इस तरह के हो सकते है:-
- बुखार
- ज्यादा ठंडी लगना
- जोड़ो में दर्द
- माँसपेशियो में दर्द
- गला ख़राब होना
- पसीना आना (खासकर रात को)
- ग्रंथियों का बड़ा होना
- शरीर पर लाल चिकत्ते पड़ जाना
- थकान और कमजोरी का महसूस होना
- दिन प्रतिदिन वजन का कम होना
2. असहिष्णु या अप्रभावी एचआईवी:-
जब ऊपर दिए गए शुरुवाती लक्षण दिखाई देने बंद हो जाते है तब एचआईवी संक्रमण का ऐसा चरण आता है जिसमें किसी भी तरह के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते है। व्यक्ति अपने आपको बिलकुल ही स्वस्थ महसूस करता है। यह चरण लगभग 10 सालो तक रहता है।
इस चरण में भले ही इंसान बाहर से स्वस्थ दिखाई देता है लेकिन भीतर वायरस का विकास होता रहता है और यह वायरस प्रतिरोधक प्रणाली और महत्वपूर्ण अंगो को नष्ट करते रहते है। इस चरण में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते है, इसलिए इस चरण को असहिष्णु एचआईवी अर्थात असिम्पटोमैटिक एचआईवी कहते है।
3. एचआईवी संक्रमण के अग्रिम चरण के लक्षण (लेट स्टेज एचआईवी इन्फेक्शन):-
यदि अप्रभावी एचआईवी संक्रमण का कोई इलाज नहीं किया गया तो यह अंतिम चरण अर्थात एड्स की स्थिति तक पहुँच सकता है। इस चरण में इंसान किसी भी तरह की बीमारी की चपेट में आ सकता है क्योकि उसकी रोगों से लड़ने की शक्ति एचआईवी के कारण बहुत हद तक नष्ट हो जाती है। इस चरण के लक्षण कुछ इस प्रकार है:-
- सुखी खांसी।
- 100 F के ऊपर का बुखार का कई हफ्तों तक रहना
- रात में पसीना आना
- हमेशा थकान महसूस करना
- साँस लेने में दिक्कत होना
- वजन का कम होते रहना
- मुँह और जीभ पर सफ़ेद रंग का धब्बा बन जाना
- सबकुछ धुंधुला दिखाई देना
- डायरिया
एचआईवी की जाँच (test for aids in hindi)
एचआईवी का परीक्षण कई तरीको से किया जाता है:-
- वेस्टर्न ब्लॉट परीक्षण, जिसमें रक्त में एचआईवी के विरुद्ध एंटीबाडी का पता लगाया जाता है।
- सलाइवा परीक्षण, जिसमें मुख से लार निकालकर उसका परीक्षण किया जाता है और यदि परिणाम पॉजिटिव आता है तो उसकी पुष्टि रक्त परीक्षण से की जाती है।
- एलिसा परीक्षण, जिसमें यदि परिणाम पॉजिटिव आता है तो इसकी पुष्टि वेस्टर्न ब्लॉट परीक्षण से की जाती है।
- घरेलु परीक्षण जिसे होम एक्सेस एक्सपर्ट टेस्ट भी कहा जाता है जो मुख्यतः केमिस्ट के पास उपलब्ध होती है।
- वायरल लोड परीक्षण जिसमें रक्त में एचआईवी वायरस की मात्रा को नापा जाता है।
संक्रमण के करीब 3 से 6 हफ्तों के बाद यह वायरस रक्त में दिखाई देते है। इसलिए परीक्षण नेगेटिव आने पर भी कई बार परीक्षण करना आवयश्यक है खासकर यदि व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के साथ रहा हो तो।
एड्स का इलाज (aids treatment in hindi)
एड्स का कोई इलाज नहीं है, लेकिन ऐसी कुछ दवाइयाँ उपलब्ध है जो एचआईवी के विकास को रोक या धीमा कर सकती है। इसके अलावा भी इस बिमारी से लड़ने के लिए काफी प्रयास की जरूरत है।
एड्स की दवाइयाँ अलग-अलग प्रकार से कार्य करती है अर्थात अलग-अलग तरीको से एचआईवी के विकास को रोकती है:-
1. नूक्लिओसाइड रिवर्स ट्रांसक्रिप्टिस इन्हीबिटर (NRTI):- इस श्रेणी की दवाइयाँ वायरस के गुरण को, वायरस के अंदर उपलब्ध ‘नूक्लिओसाइड रिवर्स ट्रांसक्रिप्टिस’ नामक एंजाइम को रोक कर रखती है। इस वजह से एचआईवी शरीर में धीरे-धीरे फैलता है। यह दवाइयाँ कुछ इस प्रकार है:-
- डीडेनोसिन
- एम्ट्रीसीटाबिन
- अपिवीर
- वीरेड, इत्यादि।
2 . प्रोटीज इन्हीबिटर (पीआई):-
इस श्रेणी की दवाइयाँ भी वायरस के गुरण को रोकती है। ये वायरस के प्रोटीन को खराब कर देती हैं। उदाहरण:- रिटोनावीर, इंडिनवीर, इत्यादि।
3 . फ्यूज़न इन्हीबिटर:- इस श्रेणी की दवाइयाँ वायरस को अंदर से जुड़ने से रोकती है जिससे उनके गुरण में बाधा उत्पन्न होती है। उदाहरण:- T-20।
4 . नॉन-न्यूक्लिओसाइड रिवर्स ट्रांसक्रिप्टस इन्हीबिटर (NNRTI):- इस श्रेणी की दवाइयाँ एचआईवी के द्वारा नई कोशिकाओं को होनेवाले संक्रमण से रोकती है। उदाहरण:- नेविरापाइन।
5 . हाइली एक्टिव एंटी रेट्रो वायरल:- इस श्रेणी की दवाइयाँ ऊपर दी गई दो या तीन दवाइयों का संयोजन है जो बहुत हद तक प्रभावशाली रही है।
एचआईवी और एड्स की रोकथाम:
एचआईवी की रोकथाम के लिए आपको नीचे दी गई इन सब बातों का ध्यान रखने की आवश्यकताएँ है:-
- असुरक्षित यौन संबंध से बचें:- असुरक्षित यौन संबंध से दूर रहें। कई लोगों से यौन सम्बन्ध बनाने से बचें। यदि किसी एक व्यक्ति के साथ भी यौन संबंध बना रहें है तो कंडोम का उपयोग अवश्य करें।
- एक ही सीरिंज का उपयोग करने से बचें।
- संक्रमित शारीरिक द्रव से दूर रहें:- जहाँ तक हो सके संक्रमित शारीरिक द्रवों से दूर रहें। यदि आवश्यकता पड़े तो ग्लव्स, मास्क्स, आँखों को सुरक्षित रखनेवाले परदे, शील्ड्स, और गोन्स का प्रयोग करें। संक्रमित द्रव्यों को छूने के बाद हाथो को अच्छी तरह से धो लें। खतरा कम जाएगा।
- संक्रमित गर्भवती महिला, डॉक्टर से सलाह लेकर ही बच्चे को जन्म दे। हो सके तो सिजेरियन प्रणाली से प्रसव कराएँ। संक्रमित महिला बच्चें का स्तनपान ना करें।
- एचआईवी और एड्स से जुड़ी हर जानकारी से अवगत रहें।
- एचआईवी और एड्स के दौरान पोषणयुक्त भोजन करें:- एचआईवी और एड्स के दौरान फाइबर, विटामिन और मिनरल्स से युक्त खाद्यपदार्थों का सेवन करें और साथ ही डेयरी खाद्यपदार्थ जैसे कि दूध, दही और पनीर का भी सेवन करें। प्रोटीन से युक्त भोजन जैसे कि मछली, अंडे और कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन जैसे कि आलू, रोटी और ब्राउन चावल का भी सेवन करें।
एचआईवी से जुड़ी कुछ मिथ्या:
भले ही एड्स और एचआईवी खतरनाक बीमारियाँ है लेकिन कुछ लोगों ने इसके बारे में ऐसी मिथ्या फैला दी है जिससे लोग एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों को हिन् भावना से देखते है। आप सब यह बात ध्यान में रखे कि यह वायरस इन तरीको से नहीं फ़ैल सकता:-
- हाथ मिलाने से
- गले लगाने से
- चुंबन से
- छींकने से
- कटी हुई त्वचा को छूने से
- एक ही शौचालय का उपयोग करने से
- एक ही तौलियों का उपयोग करने से
- एक ही चम्मच का उपयोग करने से
- मुँह से मुँह साँस देकर जीवित करने से
एचआईवी और एड्स से संक्रमित लोगो की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इसलिए जरुरी है कि आप ऊपर दी गई जानकारी को अच्छे से समझे और दूसरों को भी इस जानकारी और इस बीमारी से अवगत कराए।
भारत में और अन्य देशों में एड्स से लड़ाई जारी है। लेकिन निकट समय में इसका कोई तोड़ नजर नहीं आ रहा है।
इसके अलावा इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है, कि एक बार एड्स होने के बाद उसे रोकना काफी मुश्किल है। इसलिए इससे जितना बचाव किया जाए, उतना ही बेहतर है।
शरीर से एचआईवी वायरस को निकालने का तरीका बताये?
aapko hiv ke liye ilaj karna hoga. iski kuch medicine hoti hai, jisse virus ka effect kam ho jaayega.
aids se bachne ke upay bataye
aids se bachav ke liye bahut acchi jankari hai. main bhi aids ke bare mein likhta hoon. maine facebook par kai article likhe hain.
kya ek baar aids ka virus sharir mein ghusne ke baad wapas nahi nikalta hai kya? maan lijiye mujhe aids ho gaya hai to mere paas use theek karne ke kya option hai. kya aids ka koi ilaj sambhav nahi hai?
Kiya sarkari dawakhane me jo kisi waqti ka HIV positive wale ka blood sample check ke liye liya jata hai wo agar positive ho to usse dawakhane me rakhkar kisi sammaniya waqti ko sakrmit serize ke jariye diya jata kiya
mere aids ho rahaa hai main marne vaala hoon mujhe kyaa karnaa chahiye main kuch dinon mein mar jaaunga koi tareeka bataaye
Mere dost ke aids ho raha hai agar main uske paas jaunga to kya mere bhi aids ho sakta hai? Mujhe kya precautions lene chahiye
Kya koi savdhania hai?
Kya daily baDan dard hona thakhan hona jado me dard V aids ka lakchan hy muje hamesa dard hota he or thakhan bahut hota hy please bataye or main kya karun iske liye
Apne patni ke alava parai stri se 1 baar sambandh kiya ho to aids ho sakta hai ya wo stri hiv grast ho to hi ho sakta hai mujhe bataye